मलबे में दबे अपनों की नम आखों से तलाश

कुमारहट्टी हादसा

…और बारिश बन गई विलेन

 सोलन -नाहन-कुमारहट्टी एनएच पर चंद मिनटों में ही चार मंजिला इमारत गिरने से अफरा-तफरी मच गई, वहीं देश के जवान व अन्य लोग सुरक्षित निकल गए। जिसे देखो हर कोई अपनों को बचाने में जुटा हुआ था। शाम चार बजे इस बिल्डिंग के ध्वस्त होने की खबर जंगल की आग की तरह फैल गई और जिसे इस बात का पता चला वह घटनास्थल पर पहुंच गया। घटनास्थल पर पहुंचे पुलिस, फायर ब्रिगेड के जवान व 108 के कर्मचारियों ने राहत व बचाव कार्य आरंभ किया। वहीं, जैसे ही यह खबर सैन्य क्षेत्र डगशाई के असम रायफल के अधिकारियों को मिली, तो उन्होंने तुरंत जवानों के साथ घटनास्थल की ओर कूच कर दिया। वहां मौजूद हर एक शख्स मलबे में दबे लोगों की सलामती की दुआ मांग रहा था और इस कोशिश में था कि किस तरह वह इस राहत व बचाव कार्य का हिस्सा बने। जवानों के परिवारजनों को बिलखते हुए देखकर हरेक आंख नम थी। वहीं, अपनों के मलबे के नीचे दबा होने की सूचना पर कुछ आंखों से बहते आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे। इस राहत बचाव कार्य में बारिश ने विलेन का रूप धारण किया हुआ था और लगातार हो रही बारिश ने बचाव कार्य में बाधा उत्पन्न की। सेना के जवानों को दिन का भोजन इस तरह से महंगा पड़ जाएगा, इसकी किसी ने कल्पना भी नहीं कि होगी। समाचार लिखे जाने तक बचाव कार्य के लिए पंचकूला से एनडीआरएफ की टीम मौके पर पहुंच चुकी थी और अंधेरे में हेलोजन लाइट्स की रोशनी में लेंटल तोड़ने का कार्य जारी था।

डायवर्ट किया एनएच

बिल्डिंग गिरने के बाद नाहन-कुमारहट्टी एनएच को डायवर्ट कर दिया गया। इससे जाम की स्थिति बनी रही। सोलन जाने वाली गाडि़यों को वाया सुल्तानपुर भेजा गया, जबकि चंडीगढ़ जाने वालर वाहनों को वाया भोजनगर और धर्मपुर जाने वाले वाहनों को वाया अनहेच डगशाई भेजा।

हादसे के वक्त मौजूद नहीं थे मालिक-बच्चे

जमींदोज हुई बिल्डिंग की सबसे निचली मंजिल में बिल्डिंग का मालिक साहिल शर्मा परिवार सहित रहता था। हादसे के समय वह घर पर मौजूद नहीं था। कहा जा रहा है कि वह किसी कारण से राजगढ़, जिला सिरमौर गया हुआ था। वहीं, बच्चे भी पड़ोसी के घर पर थे। हादसे के समय साहिल की पत्नी घर पर मौजूद थीं, जिनकी मौत हो चुकी है।

यह कोई नई बात नहीं है

कुमारहट्टी एवं आसपास के क्षेत्रों में बिल्डिंग गिरने का सिलसिला कोई नई बात नहीं है। तीन वर्ष पूर्व भी एक स्कूल भवन गिर गया था। हालांकि इससे पहले ही खाली करवा दिया था, जिस कारण कोई अधिक नुकसान नहीं पहुंचा था। लेकिन एक किलोमीटर के दायरे में यह दूसरी घटना है, जब बिल्डिंग गिरी है।

मॉकड्रिल के बाद हादसा पूरे हिमाचल

में पिछले सप्ताह प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए मॉकड्रिल का आयोजन किया गया था। इसका मकसद था कि आपदा के वक्त किस तरह की तैयारियां हैं, लेकिन मॉकड्रिल के चंद दिनों बाद ही कुमारहट्टी में हुए इस हादसे से प्रशासनिक तैयारियों की भी भली भांति परख की।