राशन के बाद अब फिंगर प्रिंट पर मिलेगी खाद

चंबा —डिपो में मिलने वाले राशन की तर्ज पर अब किसानों को खाद भी फिंगर प्रिंट पर दी जाएगी। अन्नदाता एवं जमीन से जुड़े कृषि विभाग ने डिजिटल इंडिया की फेहरिस्त में कदम रख दिया है। इससे खाद की बिक्री पर हो रही कालाबाजारी पर भी रोक लगेगी साथ ही लाइसेंस के बिना खाद बेचने वाले व्यापारियों की ओर से किसानों से वसूले जा रहे मनमाने दामों पर भी ब्रेक लगेगी। कृषि विभाग की ओर से खाद विके्रता लाइसेंस होल्डर्स को पोस (पीओएस) मशीने उपलब्ध करवा दी हैं। साथ ही उन्हें इस बायोमीट्रिक विधि को लेकर भी जागरूक किया गया है। पहाड़ी एवं मेहनती राज्य हिमाचल के किसानों से खाद के रेट पर किराए भाड़े समेत हो रही एक्स्ट्रा वसूली अब नहीं हो पाएगी। लाइसेंस होल्डर्स से मिल कर इस तरह के धंधे को अंजाम देने वाले गाड़ी चालक पहले की तरह यहां-वहां आम सामान की तरह खाद नहीं बेच पाएंगे। कृ षि विभाग ने खाद विक्रेता सभी लाइंसेंस धारकों को पोस मशीने उपलब्ध करवाई गई है। खाद की खरीददारी करने से पहले खरीरददार को बायोमीट्रिक में डिपो मंे लगने वाले फिंगर प्रिंट की तरह अंगूठा लगाना होगा उसके बाद उसे खाद की बोरी उपलब्ध करवाई जाएगी। इस अत्याधुनिक तकनीकी से खाद की विक्री में पारदर्शिता आएगी। साथ ही विक्रता जगह-जगह मनमर्जी के दाम भी नहीं वसूल पाएंगे। फिंगर प्रिंट के बिना खाद बेचने वाले व्यापारियों पर विभाग की ओर से कड़ी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। बिना लाइसेंस एक्सट्रा दामों पर खाद की बिक्री कर रहे व्यापारियों की सूचना जल्द विभाग को उपलब्ध करवाने की बात कही है।

एक्स्ट्रा वसूली को लेकर आती थी शिकायतें

खाद के दामों में हो रही एक्स्ट्रा वसूली को लेकर विभिन्न क्षेत्रों से हर वर्ष किसानों की ओर से शिकायतें आती थीं। लाइसेंस धारकों से मिलकर वाहन चालक लोगों के घरों तक खाद की सप्लाई का धंधा चलाता था। घर द्वार पर सप्लाई पहुंचाने के बाद किसानों से एमआरपी को छोड़ किराए भाड़े समेत कई एक्स्ट्रा रेट वसूले जाते थे, लेकिन अब बायोमीट्रिक प्रक्रिया शुरू हो जाने से इस तरह के गौरखधंधे पर लगाम लगेगी।