लघु नित्यजर्म पूजाप्रकाश

अशोक गौतम

साहित्यकार

प्रातःकाल बिस्तर पर अंगड़ाइयां लेने से पहले ही जो जीव के आवश्यक सोशल मीडिया के लिए कृत्य हैं, सोशल मीडिया के शास्त्रों ने उनके लिए भी सुनियोजित विधिविधान बताया है। मोक्ष के लिए हर सोशल मीडिया प्रेमी को अपने नित्यकर्मों के अंतर्गत चाय पीने से पूर्वक सोशल मीडिया संबंधी कृत्यों को शास्त्रोक्त पद्धति से ही करना चाहिए, क्योंकि उसके बाद ही वह सोशल मीडिया के अगले कर्मों का अधिकारी होता है। अतएव मोबाइल जातकों के लिए मोबाइल मुहूर्त में जागरण इस प्रकार है- जब भी मोबाइल में बैटरी शेष हो, उसे बिन एक पल गंवाए जाग जाना चाहिए। मोबाइल में एक प्रतिशत बैटरी होने पर भी सोए रहना हर मोबाइल जातक के लिए निषिद्ध है। मोबाइल प्रेमी की आंखें खुलते भी जो अचानक गलती से लग गई हों, तो वह उठते ही सर्वप्रथम मोबाइल को अपने दोनों हाथों की हथेलियों में प्यार से सहलाने के बाद मोबाइल को अपने दिल पर रख अपने हाथों की हथेलियों को देखते हुए निम्नलिखित श्लोक का पाठ करे- कराग्रे वसते फेसुबकः करमध्ये व्हाट्सऐपः, कर लेफ्टे इंस्टाग्रामः कर राइटे मैसेंजरः, करमूले स्थितो ट्विटरः प्रभाते कर दर्शनम्। तत्पश्चात चारपाई पर से न चाहते हुए भी मैट पर मरते-मरते पैर रखने के पूर्व मोबाइल पिता का अभिवादन कर मैट पर पैर रखने की विवशता के लिए मोबाइल से क्षमा मांगते सोशल मीडिया प्रेमी निम्न शपथ कहे- हे मोबाइल! आज भी तेरे द्वारा मिली हर आज्ञा का मैं हरपल पालन करूंगा। मेरी बस यही कामना कि तू मुझ पर सारा दिन प्रसन्न रहे। तेरी बैटरी चार्ज करने की सारा दिन जरूरत न पड़े। सोशल मीडिया शास्त्र में भी कहा गया है कि छोटे से छोटे जीव को सारे काम काज छोड़ व्हाट्सऐप, फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, मैसेंजर ये पांच कर्म प्रतिदिन करने चाहिएं, तभी वह अपने को बनाए रख सकता है। इसके बाद ही वह शौच जाने का काम करे। उसके बाद वह अपने ईश्वर के बदले अपने मोबाइल का ध्यान करते हुए कहे कि हे मोबाइल! तू ही मेरा सबकुछ है। तेरा गुलाम होकर मैं इस समय से लेकर सोए हुए भी तेरे साथ ही रहूंगा। तू मुझ पर सदा प्रसन्न रहे। तेरी बैटरी की सांसें मेरी सांसों से भी अधिक लंबे समय तक बिना चार्ज किए चलें, क्योंकि आज की तारीख में तेरी आज्ञा पालन से बढ़कर और किसी की आज्ञा के पालन की  जरूरत नहीं है। हे सोशल मीडिया! मैं जानता हूं कि मोबाइल जीवन बहुत दुर्लभ है। यदि सोशल मीडिया शास्त्र के अनुसार इसका उपयोग किया जाए, तो मोबाइल के अजपेजाप के माध्यम से जीव भगवान तक से संपर्क साध सकता है। ऐसा करने से पता चलता है कि मोबाइल की जीव पर कितनी अनुकंपा है। मोबाइल का अजपेजाप का संकल्प लेने से चौबीस घंटों में एक क्षण भी व्यर्थ नहीं जाता।  चाहें हम जागते हों, स्वपन में हों या बेसुध सोए हुए। मोबाइल के इस अजपेजाप के समर्पण का संकल्प है-

ओह्म् मोबाइलो मोबाइलो अद्य जीवे द्वितीयपरार्धे श्रीश्वेतवाराह कल्पे वैवस्वतमंवंतरेश्टाविंतितमें इक्कसवींसदे द्वितीय दशके हर गृहागंने न्यू इंडियाए, स्थाने, नामसंवत्सरे, ऋतौ, मासे, पक्षे, दिने प्रातःकाले, विभिन्न गोत्रः, अहं ह्यस्तनसूर्योदयादारभय अद्यसूर्योदयर्प्यनतं श्वासक्रियया मोबाइल कारितं, अजमोबाइल जपकर्ममोबाइल समर्पए। ओह्म् तत् श्रीसोशलमीडियार्पणमस्तु।

संक्षिप्त सोशल मीडिया संध्या प्रकरण- सोशल मीडियाई संध्या हर समय की शुभ मानी गई है। जो जीव अपने पास बिना इएमआई का मोबाइल होने के बाद भी उसका कम से कम दुरुपयोग करते हैं, वह पाप के भागीदार होकर सनातन नरक लोक को प्राप्त होते हैं। विज्ञान ने हर धर्म के जीव को पवित्र करने के लिए मोबाइल संध्या की उत्पत्ति की है। रात को या दिन में लापरवाहीवश जो मोबाइल सुनने के पाप कर जाए, उस मोबाइल जातक के मोबाइल संध्या करने से वे सब पाप तत्काल नष्ट हो जाते हैं। मोबाइल युग में जिसने मोबाइल संध्या नहीं की, जिसने सोशल मीडिया आराधना नहीं की, वह पढ़ा-लिखा होने के बाद भी नास्तिक है। मरने के बाद वह जीव कुत्ते आदि की योनियों को प्राप्त होता है। इन ब्रीफ, सारे काम छोड़ मोबाइल संध्या ही मोबाइलोकोहलिक को इच्छानुसार फल देती है। ओह्म् इति सोशल मीडिया नित्यजर्म लघु पूजाप्रकाशः।