लाहुल की सड़कों पर दौड़ रही बुजुर्ग बसें

 केलांग —शीत मरुस्थल के नाम से विख्यात लाहुल-सपीति की सर्पीली सड़कों पर एचआरटीसी की खटारा बसों में सफर करने को लोग मजबूर हैं। देश के सबसे लंबे बस रूट लेह-केलांग-दिल्ली पर बस दौड़ानें का तमगा जहां केलांग डिपो के नाम है, वहीं यह डिपो देश के सबसे ऊंचे दर्रों व जोखिम भरे रास्तों पर भी बसें चला रहा है। बावजूद इसके निगम प्रबंधन लाहुल-स्पीति के लिए नई बसें उपलब्ध नहीं करवा पाया है। एचआरटीसी के केलांग डिपो जहां हाल ही में अपनी सारी बसों में गारबेज कलेक्शन बैग लगाकर ऐसा करने वाला हिमाचल का पहला डिपो बना है, वहीं डिपो की ये उपलब्धियां उसे न तो नई बसें दिला पाईं है और न ही लोगों के दिलों से हादसों का डर निकाल पाई हैं। जानकारी के अनुसार केलांग डिपो के बेड़े में 63 बसें शामिल हैं, जिनमें 11 बसें ऐसी हैं, जो आठ लाख किलोमीटर तक चल चुकी हैं। बता दें कि समर सीजन में जहां देश-विदेश के सैलानी लाहुल-स्पीति का रुख करते हैं, वहीं यहां सैलानी एचआरटीसी की खटारा बसों को देखकर भी हैरान होते हैं। लाहुल-स्पीति के लोगों का कहना है कि एचआरटीसी को जनजातीय बजट से पिछले दो साल में 12 करोड़ रुपए की राशि भी जारी की गई है। इसके बावजूद नई बसें डिपो के पास नहीं है। लिहाजा इस मुद्दे पर जहां लोगों ने अब स्थानीय विधायक को घेरना शुरू कर दिया है, वहीं निगम प्रबंधन की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े कर डाले हैं। उधर, केलांग पंचायत के उपप्रधान दोरजे उपासक का कहना है कि प्रदेश में केलांग डिपो इकलौता ऐसा डिपो है, जो खटारा बसों को यहां दौड़ा रहा है। उन्होंने कहा कि वह सरकार से मांग करते हैं कि केलांग डिपो को नई बसें उपलब्ध करवाई जाएं, ताकि यहां लोगों को सफर करने में कोई दिक्कत न हो। एचआरटीसी के क्षेत्रीय प्रबंधक मंगल चंद मनेपा का कहना है कि डिपो के पास 11 ऐसी बसें हैं, जो छह से आठ लाख किलो मीटर चल चुकी हैं। नई बसों की मांग की गई है, जल्द ही पांच बसें डिपो को देने की बात कही गई है।