विधायकों की होशियारी

नवेंदु उन्मेष

वरिष्ठ पत्रकार

अनाड़ी फिल्म का एक गीत है- सब कुछ सीखा हमने न सीखी होशियारी, सच है दुनियावालों कि हम हैं अनाड़ी। राजनीति में इस गीत का खूब उपयोग होता है। इसका ताजा उदाहरण कर्नाटक में देखने को मिल रहा है। कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी अमरीका क्या गए कि वहां उनके कुछ समर्थक विधायकों की चांदी हो गई। होशियारी दिखाते हुए झट उन्होंने स्पीकर को इस्तीफा सौंप दिया। स्पीकर ने भी होशियारी दिखाते हुए उनका इस्तीफा तत्काल स्वीकार नहीं किया। वह भी कुमारस्वामी के अमरीका से वापस लौटने का इंतजार करने लगे। अब कांग्रेस ने भी होशियारी दिखाई है और मल्लिकार्जुन खड़गे को मुख्यमंत्री बनाने की अटकलें तेज कर दी हैं। भाजपा राजभवन की ओर टकटकी लगाए बैठी है कि उसे कब होशियारी करने का मौका मिले कि कुमारस्वामी को कुर्सी से बाहर निकाल फेंके। जाहिर है राजनीतिक दल के लोग सरकार बनाने के लिए उसी तरह टकटकी लगाए बैठे रहते हैं, जैसे सूडान में भुखमरी के वक्त एक गिद्ध को एक बच्चे की मौत का इंतजार करते हुए देखा गया था। वैसे पूर्व के कई विधायकों के बारे में आए दिन खबरें आती रहती हैं कि विधायक बनने के बावजूद उन्होंने न तो घर बनाया और न ही कोई गाड़ी खरीदी। यहां तक कि उनके बच्चे भी बेरोजगार ही रहे। वर्षों पुरानी बात है त्रिपुरा में एक पूर्व सांसद होटल में गिलास धोता हुआ मिला था। पूछने पर इनकार करता था कि वह कभी सांसद भी रहा था। जाहिर है उसने जीवन में होशियारी नहीं सीखी, इसलिए पूर्व सांसद होने के बावजूद होटल में गिलास धोने का काम करता था। आज के विधायक बहुत होशियार हो गए हैं। मुख्यमंत्री की कुर्सी देने की सेवा के बदले में मेवा का इंतजार करते रहते हैं। अगर उन्हें मेवा नहीं मिला, तो मुख्यमंत्री की कुर्सी जड़ से उखाड़ सकते हैं। होशियारी का ही प्रतिफल है कि झारखंड में एक निर्दलीय विधायक भी मुख्यमंत्री की कुर्सी तक जा पहुंचा था। हालांकि बिहार में भोले पासवान शास्त्री चार बार मुख्यमंत्री बने, लेकिन कुर्सी से उतरते ही उन्हें लोगों ने रिक्शे पर चलते हुए देखा।  आज का विधायक अगर सरकारी आवास खाली करे, तो उसे कई ट्र्रकों की जरूरत पड़ती है सामान अपने घर ले जाने के लिए। वैसे मेरा मानना है कि कई राज्यों में सरकारें ठेले पर चलती हैं। जब तक वहां का सीएम ठेले को ठीक से ठेल सकता है, वहां सरकार चलती रहती है। हालांकि सरकार के ठेले को पंक्चर करने के लिए भी कई विधायक लगे रहते हैं और जब ठेला पंक्चर हो जाता है, तो सरकार गिर जाती है। इसे ही कहते हैं होशियारी। आज के विधायक अनाड़ी फिल्म के उस गीत से अच्छी तरह प्रभावित हैं।