सरकार की शर्तों ने तोड़े अपनी ही बेटी के सपने

कांगड़ा की युवती नीट उत्तीर्ण करने के बाद एमबीबीएस काउंसिलिंग से बाहर

 शिमला  —हिमाचल ने अपनी ही बेटी के डाक्टर बनने के सपने को ही तोड़ दिया। नीट में बेहतर अंक लेकर पास हुई कांगड़ा की बेटी मधु को एमबीबीएस काउंसिलिंग से बाहर कर दिया गया। मधु का बर्थ सर्टिफिकेट प्रदेश का होने के बावजूद उसे नीट उत्तीर्ण करने के बाद भी प्रदेश के किसी भी मेडिकल कालेज में जगह नहीं मिल पाई। अब सरकार की शर्त यह है कि एमबीबीएस काउंसिलिंग के लिए छात्र को हिमाचल के  किसी भी स्कूल में पढ़कर बोर्ड पास करना आवश्यक है। यदि यह शर्त कोई छात्र पास नहीं कर सकता तो उसके पिता को सरकारी सेवा में कार्यरत होना आवश्यक है। अब कांगड़ा की मधु ठाकुर की सारी उम्मीदें इन्ही शर्तों की चोट से टूट गईं। मधु के पिता भी सरकारी नौकरी में कार्यरत नहीं हैं और वह पंजाब में पढ़ी है। उसके पिता पंजाब के गोविंदगढ़ में निजी क्षेत्र में कार्यरत हैं। बता दें कि मधु ने बड़ी उम्मीदों से हिमाचल में स्टेट कोटे के लिए अप्लाई तो किया, लेकिन जब वह अपने पिता के साथ एचपीयू पहुंची तो मधु को साफ शब्दों में कहा गया कि आप काउंसिलिंग की शर्तों को पूरा नहीं करती हैं। मधु के पिता जगरूप सिंह का कहना है कि उनकी जमीन कांगड़ा में हैं, उनका वोटर कार्ड हिमाचल का है। आधार कार्ड भी प्रदेश का ही है। उन्होंने सवाल उठाया है कि अपने परिवार का पेट पालने के लिए प्रदेश से बाहर नौकरी करना क्या गलत है?

बिना ट्यूशन हासिल किए 525 अंक, अब हुआ एक वर्ष खराब

मधु का कहना है कि प्रदेश सरकार को तय की गई इन शर्तों के बारे में गंभीरता से सोचना चाहिए। अब उसका एक वर्ष खराब हो गया है। उसने बिन ट्यूशन के 525 अंक लिए हैं। उसने किसी अन्य राज्य में भी काउंसिलिग के लिए आवेदन नहीं किया। अब प्रदेश ने भी उसे  ठुकरा दिया है।