साहित्य से ज्ञान…सोशल मीडिया पर पहचान

 साहित्यकार अपने लेखन के लिए अपने आसपास के परिवेश और समाज से प्रेरणा लेता है। साहित्य को समाज का दर्पण कहा जाता है। वहीं, हिमाचली साहित्यकारों, लेखकों और कवियों से आज की युवा पीढ़ी भी प्रेरणा लेना चाहती है। साहित्य को अपने रग-रग में  बसाना चाहती है। ‘दिव्य हिमाचल’ के साहित्य पर पूछे गए प्रश्नों का जवाब देतेे हुए नए युवा जो साहित्य से जुड़े हैं ने यह कहा…                                          -विनोद कुमार, धर्मशाला

साहित्य के बारे में कुछ भी जानकारी नहीं

अमित कुमार का कहना है कि वे किसी भी हिमाचली लेखक को नहीं जानते हैं और धर्मशाला कालेज में पीजीडीसीए की  कर रहे हैं। उनका कहना है कि वे कभी-कभी लाइब्रेरी में कुछ कविता की किताबें पढ़ लेते हैं, लेकिन साहित्य के बारे में बिलकुल भी जानकारी नहीं है। वहीं, सोशल मीडिया पर अपनी टिपणी देते हुए अमित ने कहा कि सोशल मीडिया लोगों से जुड़ने व अपने विचारों को आदान-प्रदान करने का सही माध्यम है। इससे लोग देश-विदेश की घटनाओं से परिचित रहते हंैं ।

चंद्रधर शर्मा गुलेरी के साहित्य पढ़ना पसंद

पंकज पठानिया ने कहा कि वे लेखक चंद्रधर शर्मा गुलेरी को जानते हैं और उनके द्वारा लिखी गई रचनाओं और कहानियों को पढ़ते भी हैं।  उन्होंने बीएड की है आजकल एक अकादमी में पढ़ा रहे हैं।  चंद्रधर शर्मा की पुस्तक उसने कहा था और बुद्धु का कांटा उन्हें बहुत पसंद हैं । साहित्य पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि वे साहित्य के बारे में ज्यादा कुछ तो नहीं जानते पर समय के अनुरूप कुछ कुछ पढ़ लेते हैं।

सोशल मीडिया का अपना अलग महत्त्व

धर्मशाला के राजेंद्र सिंह का कहना है कि हालंाकि वे मेडिकल विषय  से संबंध रखते हैं पर फिर भी सहित्य में भी समय मिले तो कुछ पढ़ लेते हैं। उनका कहना है कि उनका किसी विशेष साहित्कार से नाता नहीं है, लेकिन वह उनके कार्यों को पंसद करते हैं। सोशल मीडिया पर वह मात्र सूचनात्मक व आवश्यक संदेश ही देखते हैं। उनकी अधिक रूचि नहीं है, लेकिन सोशल मीडिया का भी अपना अलग महत्त्व है। उसे नकारा नहीं जा सकता है।

कहानियां और साहित्य पढ़ने का शौक

रेहलू की साक्षी का कहना है कि वे निर्मला वर्मा से परिचित हैं उनकी साहित्यक रचनाओं और कहानियों उन्हांेने पढ़ा है। हालांकि साहित्यक गतिविधियों की इतनी जानकारी नहीं है, क्योंकि आज तक साहित्य के बारे में किसी ने कोई भी इतनी गहनता से जानकारी नहीं दीं।  उन्हें साहित्य और कविता पाठ का बहुत शौक हैं, परंतु धर्मशाला में उन्हें यह नहीं पता कि ऐसे कार्यक्रमों से कैसे जुड़ा जाए। सोशल मीडिया आज के जमाने में संबंधों को बढ़ाने और देश-विदेश की जानकारियां हासिल करने का अच्छा माध्यम है।

प्रत्यूण गुलेरी की कविताएं पढ़ने लायक

अभिषेक कुमार का कहना है कि लेखक की बात करें, तो हिमाचल में बहुत सारे एक से बढ़कर एक लेखक हैं ।  धर्मशाला में वे लेखक प्रत्यूण गुलेरी को जानते हैं उनकी कविता पाठ को ध्यान से पढ़ते हंै मन लगाकर अभी अभी उनकी पुस्तक 57 बाल कविताएं , हिमाचल की सांस्कृतिक धरोहर और सच के सामने आदि पुस्तकें हैं, जो बहुत ही प्रेरणा स्रोत हैं। साहित्य के बारे मेें जानकारी नहीं रखते हैं ।