हर साल कहर बरपाती है बरसात

भू-स्खलन में तबाह हो जाती है करोड़ों की संपत्ति, मलबे में दब जाती हैं कई जानें

 शिमला -हर साल बरसात अपना रौद्र रूप दिखाती है। पहाड़ में भले ही बरसात का पानी नहीं रुकता, लेकिन यहां की ज़मीन को इस कद्र भिगोता है कि वह टिक नहीं पाती। लगातार यहां बरसात के दिनों में भू-स्खलन के मामले सामने आते हैं, जिससे संपत्ति का नुकसान तो होता ही है, वहीं जानमाल का नुकसान भी होता है। सोलन के कुमारहट्टी में रविवार को बहुमंजिला मकान गिरने के बाद कई जख्म ताजा हो गए हैं। शिमला, चंबा, कुल्लू, मंडी जिलों में ऐसी कुछ घटनाएं पूर्व में भी हो चुकी हैं, जिसके बाद खड्डों के साथ नदियों के आसपास के क्षेत्रों में मकान नहीं बनाने की सलाह दी गई, वहीं नालों के ऊपर भी लोग मकान बनाने से नहीं हटते। शिमला शहर की ही बात करें, तो यहां नालों पर शहर के कई क्षेत्र बसे हैं। प्रकृति से छेड़छाड़ भू-स्खलन के रूप में भारी पड़ती रही है, वहीं बरसात में मिट्टी के खिसकने से मकान खतरे की जद में रहते हैं। पिछली बरसात की बात करें, तो हिमाचल में 1217 करोड़ रुपए का नुकसान आंका गया था, जिसमें छोटे-छोटे पुराने 70 से ज्यादा मकान गिरने की बात सामने आई थी। इसमें जानमाल का भी नुकसान आंका गया। शिमला के टुटू में कुछ साल पहले ऐसा बहुमंजिला भवन लटक गया था, वहीं संजौली एरिया में भी भू-स्खलन से कई भवनों में दरारें पड़ गई थी, जिनके गिरने का खतरा बढ़ गया था। सोलन में सीआरपीएफ का एक बड़ा भवन भू-स्खलन के कारण पिछले साल खतरे की जद में आ गया था। लगातार निर्माण कार्य पहाडि़यों पर भारी पड़ रहे हैं। निर्माण कार्य से जमीन का स्टेटा कमजोर पड़ रहा है और भू-स्खलन हो रहा है। परवाणू-शिमला फोरेलेन के निर्माण को ही देखें, तो यहां लगातार भू-स्खलन हो रहा है और कहीं न कहीं इस तरह की बड़ी दुर्घटनाओं के लिए यह एक बड़ा कारण है। सड़क मार्गों के निर्माण से मिट्टी नदियों व खड्डों में जा रही है, जो वहां पानी रोकती है और पानी कहीं दूसरी जगह से अपना रास्ता निकाल लेता है, जो कि नुकसान करता है।

और दम तोड़ देती हैं जिंदगियां

मकान गिरने की कई घटनाएं चंबा व कुल्लू जिला में सामने आ चुकी हैं। वहीं, मंडी-जोगिंद्रनगर मार्ग पर एक पहाड़ी दरक गई थी। बढ़ता निर्माण कार्य इस अत्यधिक भू-स्खलन के लिए अहम कारण है, जिस पर रोक नहीं लग रही। बताते हैं कि बरसात के दिनों में होने वाली ऐसी दुर्घटनाओं में पिछले साल 70 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। मनाली-चंडीगढ़ हाई-वे पर 16 लोगों की मौत भी इसमें दर्ज है। राज्य में बादल फटने की भी काफी ज्यादा घटनाएं दर्ज की जा रही हैं। हर साल यहां दस से 15 घटनाएं बरसात में बादल फटने की सामने आती हैं।

खाना खा रहे थे असम रायफल्स के 30 जवान

जब यह बिल्डिंग ध्वस्त हुई, तो इस ढाबे में जहां असम रायफल्स के करीब 30 जवान खाना खा रहे थे, वहीं ढाबा मालिक व उसके परिवार सहित कुछ सिविलियंस भी मौजूद थे। शाम करीब चार बजे हुए इस हादसे में अधिकतर सेना के जवान शामिल थे, इसकी खबर लगते ही डगशाई कैंट स्थित असम रायफल्स की पूरी यूनिट ने मोर्चा संभाल लिया और रेस्क्यू आपरेशन को अपने हाथों में ले लिया। समाचार लिखे जाने तक करीब डेढ़ दर्जन लोगों को निकाला जा चुका था, जिसमें से पांच लोगों की मौत हो चुकी थी। हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि नही हुई है।