अपने निवेशकों को भी राहत दे सरकार

धर्मशाला  – जयराम सरकार की बाहर से निवेशक लाने की तो तारीफ हो रही है, लेकिन हिमाचल में पहले से ही पैसा लगाने की योजना पर काम कर रहे कारोबारी सरकारी नीतियों से हताश हैं। ऐसे में सरकार हिमाचल के अपने निवेशकों एवं पूर्व में स्वरोजगार व रोजगार देने की दृष्टि से काम कर रहे लोगों को प्रोत्साहित करे, तो इस दिशा में सार्थक परिणाम आएंगे। राज्य में विभिन्न संस्थाओं के विरोध और एनओसी के फेर में ही दर्जनों छोटे-बड़े प्रोजेक्ट फंसे रहते हैं, जिससे लाखों रुपए कर्ज लेकर काम करने वाले लोग बुरी तरह से परेशान होते हैं। हालात ऐसे बन जाते हैं कि कई बार उद्योग लगाने वाले भी प्लाट तो ले लेते हैं, लेकिन उन्हें गोदामों के रूप में ही प्रयोग करने को मजबूर होते हैं। सरकार द्वारा धर्मशाला में प्रस्तावित इन्वेस्टर मीट से रोजगार की उम्मीद लगाए बैठे युवाओं सहित विभिन्न वर्गों को रोजगार व यहां सुविधाएं मिलने की उम्मीद जगी है, लेकिन इसे धरातल पर उतारने के लिए यदि पूर्व योजना के आधार पर काम नहीं हो पाया तो इससे चुनिंदा लोगों को ही लाभ मिल पाएगा। बाहरी इन्वेस्टर्ज के साथ-साथ यहां कार्यरत बड़े कारोबारियों को भी प्रदेश सरकार स्पॉट करने की योजना बनाए, तो कई छोटे-बड़े कारोबार शुरू हो जाएंगे। अब तक के हालात को देखें तो अनेक ऐसे मामले हैं, जिनमें कंपनियां काम तो करना चाहती हैं, लेकिन विभागीय पेचीदगियां व विपक्षी दलों सहित संस्थाओं के विरोध के कारण यह उद्योग धंधे अधर में ही लटक जाते हैं। धर्मशाला-चामुंडा रोप-वे के लिए उषा ब्रैको करीब 289 करोड़ के प्रोजेक्ट पर काम करना चाहती थी। करीब एक वर्ष औपचारिकताएं पूरी करने के बाद उन्हें योजना के आधार पर सुविधाएं न मिल पाने से आज तक यह कार्य सिरे नहीं चढ़ पाया है। पर्यटन क्षेत्र में काम करने वाले ऐसे अनेकों उदाहरण हैं, जिनके मामले अभी भी लटके हुए हैं, जिससे वह लोन के बोझ तले दब रहे हैं।

कांगड़ा जिला में चार हजार उद्योग बंद

कांगड़ा जिला में ही करीब 10 हजार से अधिक उद्योग पंजीकृत हैं, लेकिन चार हजार के करीब या तो बंद हैं या फिर गोदाम के रूप में इनका इस्तेमाल कर रहे हैं। मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना में भी अभी युवाओं को सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं, जिससे उन्हें निराशा ही हाथ लग रही है।