अब 5वीं-8वीं में भी फेल होंगे छात्र

कैबिनेट मीटिंग में फैसला, हिमाचल में डिटेंशन पॉलिसी लागू होने से 33 प्रतिशत अंक लेना होगा जरूरी

शिमला  – प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पांचवीं व आठवीं के छात्र अब फेल होंगे। सरकार ने पांचवीं-आठवीं दोनों कक्षाओं के लिए डिटेंशन पॉलिसी लागू कर दी है। खास बात यह है कि प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड पांचवीं व आठवीं कक्षा के प्रश्नपत्र तैयार करेगा। सरकार ने आरटीई के नियमों को ध्यान में रखते हुए फैसला लिया है कि बोर्ड सिर्फ दोनों कक्षाओं के लिए प्रश्न पत्र और उत्तर पुस्तिकाएं ही उपलब्ध करवाएगा। इसके अलावा परीक्षाओं को करवाने की पूरी जिम्मेदारी स्कूल प्रबंधन व उपनिदेशकों की होगी। अब पांचवीं व आठवीं के छात्रों को पास होने के लिए 33 प्रतिशत अंक लेना भी अनिवार्य किया गया है, अगर इससे कम नंबर लिए, तो ऐसे में छात्रों को फेल किया जाएगा। गुरुवार को प्रदेश सरकार की कैबिनेट बैठक में यह ऐतिहासिक फैसला लिया गया। हालांकि सरकार ने डिटेंशन पॉलिसी भले ही लागू की है, पर बोर्ड इन छात्रों की परीक्षाओं को चैक नहीं कर पाएंगे। सरकार ने यह जिम्मेदारी शिक्षा विभाग के ऊपर ही डाली है।  सरकार ने फैसला लिया है कि पांचवीं व आठवीं की बोर्ड परीक्षाओं के लिए छात्रों को दूसरे स्कूल में जाने की आवश्यकता नहीं होगी। छात्र उसी स्कूल में परीक्षा देंगे, जहां  पर वह पड़ते हैं। इसके अलावा इन दोनों कक्षाओं के छात्रों के पेपर दूसरे स्कूल के शिक्षक चैक करेंगे। बता दें कि प्रदेश सरकार शैक्षणिक सत्र 2019-20 से नो डिटेंशन पॉलिसी को समाप्त करने की तैयारी काफी समय से कर रही थी। प्रदेश सरकार इस संदर्भ में केंद्र सरकार से आदेश जारी होने का इंतजार कर रही थी। केंद्र से मंजूरी मिलने के बाद शुक्रवार को सरकार ने कैबिनेट ने इस फैसले को मंजूर कर दिया। गौर हो कि राज्यसभा ने आठवीं तक फेल नहीं करने की नीति में संशोधन वाले विधेयक को काफी समय पहले मंजूरी दे दी थी। सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए काफी समय से यह मांग की जा रही थी, कि पांचवीं व आठवीं के छात्रों को फेल किया जाएगा।

लर्निंग आउटकम्स के तहत सेट होंगे पेपर

पांचवीं व आठवीं के पेपर अब स्कूलों में शुरू किए गए नए लर्निंग आउटकम्स प्लान के तहत सेट होंगे। शिक्षा विभाग ने आठ लर्निंग आउटकम्स तय किए हैं। ऐसे में बोर्ड को भी इस प्लान के तहत ही प्रश्नपत्र तैयार करने होंगे। वहीं प्रदेश के सरकारी स्कूलों में छात्रों को पढ़ा रहे शिक्षकों ने भी सरकार के इस फैसले को सराहा है। वहीं, आने वाले समय में इससे सरकारी शिक्षा में गुणवत्ता की भी बात कही है।