उपेक्षा की शिकार आधी आबादी

– शीला शर्मा, शिमला

पुरुष प्रधान समाज में स्त्रियों को दोयम दर्जा प्राप्त है। स्त्रियों की दशा सुधारने के लिए कई महापुरुषों ने भरसक प्रयास किए, परंतु आज भी ये उपेक्षा की शिकार हैं। पुरुषों ने स्त्रियों के मन में यह बात बैठा दी है कि तुम नाजुक हो, इसलिए घर पर रह कर कार्य करती रहो, जबकि आंकड़े बताते हैं कि जन्म के समय नर शिशु के मरने की संख्या मादा शिशु की संख्या से ज्यादा है। इससे सिद्ध होता है कि शारीरिक तौर पर भी स्त्रियां सशक्त हैं। आज भी विधवा पुनर्विवाह की अनुमति समाज नहीं दे पाता है। पति की मृत्यु के बाद स्त्री को सादा जीवन व्यतीत करने के लिए कहा जाता है और उसके भाग्य को कोसा जाता है।