कविता : मम्मी देखो न

मम्मी देखो न

ये चांद टुकुर- टुकुर कर देखता है।

मुंह से  तो वह कुछ न बोले

पर मन ही मन ये हंसता है।

चैन से मुझको ये सोने नहीं देता

खुद सारी रात चलता है।

मम्मी देखो न ये चांद टुकुर- टुकुर कर देखता है।