कश्मीर में साहसिक कदम

किशन सिंह गतवाल, सतौन, सिरमौर

कश्मीर समस्या एक नासूर बनता जा रहा है, उसका कोई समाधान नहीं मिल सका, अब तक देश के कई हजार वीरों ने इसकी खातिर प्राणों की आहुतियां दीं, मर्ज जस का तस रहा। 50 हजार लाख करोड़ रुपए अनुच्छेद 370 व 35ए के कारण व्यय हो चुके हैं। भारत ने पर्याप्त घाव इस संदर्भ में झेले और पूर्ण रूप से कश्मीर पर भारत का शासन नहीं चलता था, अब एक देश, एक विधान और एक झंडा होगा भारत का, अब कश्मीर और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश बनने से प्रगति के द्वार खुलेंगे। फ्री एसोसिएशन से राष्ट्रीय एकता को बल मिलेगा, केंद्र का इन प्रदेशों पर सीधा पूर्ण नियंत्रण रहेगा, पत्थरबाजी और देश विरोधी गतिविधियों को विराम लगेगा। एकीकरण के अधूरे सपने पूर्ण हुए। जब पाकिस्तान बिना विलय के पाक अधिकृत कश्मीर पर कब्जा जमाए बैठा रह सकता है तो भारत में तो राज्य हरि सिंह ने विधिवत कश्मीर का विलय किया था, भारत को क्या चिंता है? जो किया वह सब सही किया, मोदी और अमित शाह ने सुगुप्त रूप से पूरी तैयारी से कार्य किया और सफल हुए।