कहानी :  स्वतंत्रता दिवस का समारोह

हम सब को स्वतंत्रता दिवस समारोह में उपस्थित होना चाहिए, गोलमटोल उषा ने जवाब दिया। तब बहुत सारे बच्चे अनुपस्थित क्यों थे। उन्होंने नामों की सूची हवा में लहराते हुए पूछा। फिर उन्होंने अनुपस्थित हुए विद्यार्थियों के नाम पुकारे, उन्हें डांटा और अपने डंडे से उनकी हथेलियों पर मार लगाई। अगर तुम लोग राष्ट्रीय समारोह के प्रति इतने लापरवाह हो तो इसका मतलब यही है कि तुम लोगों को अपनी मातृभूमि से प्यार नहीं है…

धु्रव अपने स्कूल में होने वाले स्वतंत्रता दिवस समारोह को ले कर बहुत उत्साहित था। वह भी परेड में हिस्सा ले रहा था। दूसरे दिन वह एकदम सुबह जाग गया, तो उसने देखा कि घर में कोई नहीं है वह परेशान हो गया सबके कमारों में गया देखा वहां भी कोई नहीं। फिर किचन में उसे मां दिखी तो मां को कहता, मां क्या हुआ सब कहां गए।   दादीजी कहां हैं। उसने पूछा।  मां : रात को वह बहुत बीमार हो गई थीं। तुम्हारे पिताजी  और तुम्हारे चाचा जी उन्हें अस्पताल ले गए हैं, वह अभी वहीं हैं उनकी हालत काफी खराब है। धु्रव एकाएक उदास हो गया। उसकी मां ने पूछा, क्या तुम मेरे साथ दादी जी को देखने चलोगे। चार बजे मैं अस्पताल जा रही हूं। धु्रव अपनी दादी को बहुत प्यार करता था। उसने तुरंत कहा, हां मैं आप के साथ चलूंगा। वह स्कूल और स्वतंत्रता दिवस के समारोह के बारे में सब कुछ भूल गया और अपनी मां के साथ दादी मां को देखने चला गया। स्कूल में स्वतंत्रता दिवस समारोह बहुत अच्छी तरह संपन्न हो गया, लेकिन प्राचार्य खुश नहीं थे। उन्होंने ध्यान दिया कि बहुत से छात्र आज अनुपस्थित हैं। उन्होंने दूसरे दिन सभी अध्यापकों को बुलाया और कहा, मुझे उन विद्यार्थियों के नामों  की सूची चाहिए जो समारोह के दिन अनुपस्थित थे। आधे घंटे के अंदर  सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों की  सूची उन की मेज पर थी। कक्षा छह की सूची बहुत लंबी थी। अतः वह पहले उसी तरफ  मुड़े। जैसे ही उन्होंने कक्षा छह में कदम रखे, वहां चुप्पी सी छा गई। उन्होंने कठोरतापूर्वक कहा, मैंने परसों क्या कहा था। यही कि हम सब को स्वतंत्रता दिवस समारोह में उपस्थित होना चाहिए, गोलमटोल उषा ने जवाब दिया। तब बहुत सारे बच्चे अनुपस्थित क्यों थे। उन्होंने नामों की सूची हवा में लहराते हुए पूछा। फिर उन्होंने अनुपस्थित हुए विद्यार्थियों के नाम पुकारे, उन्हें डांटा और अपने डंडे से उनकी हथेलियों पर मार लगाई। अगर तुम लोग राष्ट्रीय समारोह के प्रति इतने लापरवाह हो तो इसका मतलब यही है कि तुम लोगों को अपनी मातृभूमि से प्यार नहीं है। अगली बार अगर ऐसा हुआ तो मैं तुम सबके नाम स्कूल के रजिस्टर से काट दूंगा। इतना कह कर वह जाने के लिए मुड़े तभी धु्रव आ कर उन के सामने खड़ा हो गया। क्या बात है महोदय, विक्की भयभीत पर दृढ़ था, मैं भी स्वतंत्रता दिवस समारोह में अनुपस्थित था, पर आप ने मेरा नाम नहीं पुकारा। कहते हुए धु्रव ने अपनी हथेलियां प्राचार्य महोदय के सामने फैला दीं। सारी कक्षा सांस रोक कर उसे देख रही थी। प्राचार्य कई क्षणों तक उसे देखते रहे। उनका कठोर चेहरा नरम पड़ गया और उन के स्वर में क्रोध गायब हो गया। तुम सजा के हकदार नहीं हो, क्योंकि तुम में सच कहने की हिम्मत है। मैं तुम से कारण नहीं पूछूंगा, लेकिन तुम्हें वचन देना होगा कि अगली बार राष्ट्रीय समारोह को नहीं भूलोगे। अब तुम अपनी सीट पर जाओ। धु्रव ने जो कुछ किया, इसकी उसे बहुत खुशी थी।