टेंशन में ठेकेदारों की लेबर

प्रदेश बिजली बोर्ड के फील्ड कर्मचारियों को नहीं मिल रही तनख्वाह

शिमला – राज्य बिजली बोर्ड लिमिटेड जितने मर्जी दमगजे भरे, लेकिन सच्चाई यह है कि फील्ड में लगे कर्मचारी, जो कि ठेकेदारों के माध्यम से लगे हैं, को समय पर पैसा नहीं मिल रहा। इन कर्मचारियों को आठ महीने के बाद तनख्वाह मिलती है। ऐसे में ये कर्मचारी परेशान हैं, लेकिन ठेकेदार इनकी एक नहीं सुन रहे। इनकी  बात बोर्ड प्रबंधन तक भी नहीं पहुंच पा रही। बिजली बोर्ड करीब एक साल से आउटसोर्स कंपनी को नहीं बदल पा रही है। आउटसोर्स कंपनी को बदलने के लिए जो मुहिम चल रही है, वह सफल नहीं हो पाई है। बार-बार कंपनियां लाने के लिए टेंडर किए जा रहे हैं, लेकिन इनकी मिलीभगत के चलते किसी को भी टेंडर नहीं मिल पाया है, क्योंकि टेंडर में इन कंपनियों के रेट सही नहीं हैं। कुछ कंपनियां शून्य लागत पर ही काम करने को तैयार हैं, जिससे संशय पैदा हो रहा है। ऐसे में जहां बिजली बोर्ड प्रबंधन फंस गया है, वहीं वे कर्मचारी फंसे हुए हैं, जो ठेकेदारों के माध्यम से फील्ड में लगाए गए हैं। इनको पिछले आठ महीने से वेतन नहीं मिल पाया है। ये कर्मचारी कई जगह बोर्ड के सब-स्टेशन संभाल रहे हैं, तो कहीं उनके रेस्ट हाउस। ठेकेदार से वेतन मांगने पर जवाब मिलता है कि अभी तक बोर्ड ने अदायगी नहीं की, जबकि बोर्ड का दावा है कि वह तय समय पर पैसों की अदायगी कंपनी व ठेकेदारों को कर रही है। इस पर कर्मचारियों की सोशल सिक्योरिटी भी कोई नहीं है, जिनका न तो पीएफ कट रहा है और न ही कोई दूसरी बचत ही की जा रही है। ऐसे में सवाल बिजली बोर्ड की कार्यप्रणाली पर उठ रहे हैं, जो इन कर्मचारियों के वेतन के अदायगी समय पर नहीं कर पा रहा है। इससे कर्मचारियों में बोर्ड के प्रति नाराजगी है, क्योंकि उनकी बात भी प्रबंधन तक नहीं पहुंच पा रही है। हजारों की संख्या में लगे ये कर्मचारी खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं।