नए उद्योगों पर एनजीटी की रोक

बीबीएन – नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने हिमाचल के प्रमुख औद्योगिक क्षेत्रों बद्दी, कालाअंब व परवाणू में बेतहाशा प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों पर तीन माह के भीतर अंकुश लगाने के आदेश जारी किए है। इसके अलावा एनजीटी ने इन औद्योगिक क्षेत्रों में रेड व आरैंज कैटेगिरी के  नए उद्योगों क ी स्थापना व मौजूदा इकाइयों के विस्तारीकरण पर भी रोक लगा दी है। यह प्रतिबंध उपरोक्त औद्योगिक क्षेत्रों में प्रदूषण का स्तर कम होने तक जारी रहेगा। एनजीटी ने यह कदम औद्योगिक क्षेत्रों में प्रदूषण के स्तर में हो रही बेतहाशा बढ़ोतरी के मद्देनजर उठाया है। दरअसल केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के व्यापक पर्यावरण प्रदूषण सूचकांक (सीईपीआई) में देश भर के 100 औद्योगिक  क्षेत्रों की फेहरिस्त में बद्दी (44), परवाणू (53) व कालाअंब (54) स्थान पर पाए गए है। इसी कड़ी में इन औद्योगिक क्षेत्रों की जहरीली होती आबोहवा पर एनजीटी ने जहां केंद्रीय व राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से तीन माह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट तलब की है, वहीं पर्यावरण मंत्रालय सहित राज्य सरकारों से औद्योगिक क्षेत्रों में हालात सुधारने के लिए एक्शन प्लान बनाने को भी कहा  है। जानकारी के मुताबिक विगत 10 अगस्त को  ट्रिब्यूनल के प्रिसींपल बैंच द्वारा पारित आदेशों में हिमाचल के प्रमुख औद्योंगिक क्षेत्रों बद्दी, कालाअंब व परवाणू में नए उद्योगों की स्थापना पर रोक लगाने के आदेश जारी किए है। इसके तहत जहां तीन माह के भीतर बद्दी, कालाअंब व परवाणू में प्रदूषण फला रहे उद्योगों की पहचान कर अंकुश लगाने के आदेश हुए है वहीं इन क्षेत्रों की पॉल्यूशन केरिंग कैपासिटी का बाकायदा आंकलन करने के आदेश दिए है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने सीपीसीबी के जरिए देश के 100 औद्योगिक क्षेत्रों में प्रदूषण स्तर अध्ययन करवाया है, जिसमें बद्दी 44 वें स्थान पर है, जो कि प्रदेश भर में सबसे ज्यादा है बददी का व्यापक पर्यावरण प्रदूषण सूचकांक (सीईपीआई) 68.26 पाया गया,जबकि  परवाणू (53) का सीईपीआई 65.70 व कालाअंब (54) का सीईपीआई 65.77 पाया गया है। एनजीटी ने ये प्रक्रिया बर्ष 2018 से शुरू की थी, लेकिन यह पाया गया कि महज एकशन प्लान बनाने से इन क्षेत्रों में प्रदूषण के स्तर में कोई सुधार नहीं आया। लेकिन सीईपीआई के ताजा अध्ययन के सामने आने के बाद एनजीटी ने कडी हिदायतें जारी कर दी, जिसमें प्रदूषण फैलाने वाली इकाईयों पर पुर्णतः अंकुश लगाने के अलावा नई इकाइयों की स्थापना व मौजूदा इकाइयों के विस्तार पर प्रदूषण के स्तर में सुधार होने तक रोक लगाने के आदेश दिए है साथ ही इसमें प्रदूषण फैलाने वाली इकाइयों पर पर्यावरण को हुए नुकसान का आंकलन कर एक करोड़ तक का जुर्माना वसूलने का फार्मूला भी सुझाया है। एनजीटी ने राज्यों से इन क्षेत्रों की कैरिंग कैपासिटी का भी बाकायदा आंकलन करने को कहा है। हालांकि एनजीटी ने अपने आदेशों में स्पष्ट किया है कि कम प्रदूषण वाली इकाईयों मसलन व्हाइट व ग्रीन कैटेगिरी पर यह सख्ती लागू नहीं होगी, लेकिन उन पर कड़ी निगरानी जरूर रहेगी। काबिलेजिक्र है कि बद्दी, कालाअंब व परवाणू हिमाचल के प्रमुख औद्योगिक क्षेत्रों में शुमार है, इन्ही तीन क्षेत्रों में 70 फीसदी उद्योग स्थापित है, ऐसे में एनजीटी के आदेशों के बाद प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों में खलबली मचने के पूरे आसार है। वहीं, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव आदित्य नेगी ने एनजीटी के आदेशों की पुष्टि करते हुए बताया कि आदेशों का अध्ययन किया जा रहा है, एनजीटी द्वारा बद्दी, कालाअंब व परवाणू के संदर्भ में जो भी हिदायतें दी गई है, उनकी अनुपालना की जाएगी।