पाक को झटका, कश्मीर में सुधरे हालात

संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर पर पाक-चीन के मंसूबे नाकाम

वाशिंगटन – संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में जम्मू-कश्मीर का मसला लेकर गए पाकिस्तान और चीन को मुंह की खानी पड़ी है। यूएनएससी की बैठक में कश्मीर मुद्दे पर चर्चा के दौरान यह साफ कर दिया गया कि यह मसला भारत और पाकिस्तान के बीच का है और इस पर शिमला समझौते के अनुसार ही बात करनी होगी। कोई दूसरा देश इस मुद्दे पर दखल नहीं दे सकता। यूएन में भारत के राजदूत सैय्यद अकबरुद्दीन ने यह जानकारी देते हुए बताया कि बंद दरवाजे में हुई चर्चा को लेकर पाकिस्तान बेहद उत्साहित और आशान्वित था, लेकिन सच्चाई यह थी कि सिक्योरिटी काउंसिल के प्रेजिडेंट जोना रॉनेका ने मीटिंग में पाकिस्तानी प्रतिनिधि की मौजूदगी तक की इजाजत नहीं दी। बैठक में रूस ने भारत का भरपूर साथ दिया और भारत यह मनवाने में भी सफल हो गया कि घाटी में आतंकवाद को बढ़ावा देकर पाकिस्तान कश्मीर मसले को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उछालने की कोशिश कर रहा है। गौरतलब है कि भारत पहले ही इस मीटिंग को बहुत तवज्जो नहीं दे रहा था। भारत की बेफिक्री का कारण यह था कि हाल ही के वर्षों में इस तरह की अनौपचारिक चर्चा का चलन बढ़ गया है, जिनमें सुरक्षा परिषद के सदस्य बंद कमरे में बातचीत करते हैं और इनकी कोई जानकारी बाहर नहीं आती है। भारत के बेफिक्री के अन्य प्रमुख कारण रूस का चीन-पाकिस्तान के विरोध में मजबूती के साथ खड़ा होना और अमरीका के साथ-साथ खुद संयुक्त राष्ट्र की इस मामले के प्रति खास दिलचस्पी का नहीं होना है। हालांकि, पाकिस्तान यूएन सिक्योरिटी काउंसिल द्वारा इस मुद्दे को चर्चा के लिए सूचीबद्ध करने के बाद से ही बेहद उत्साहित था। हालांकि सच्चाई यह है कि सिक्योरिटी काउंसिल के प्रेजिडेंट जोना रॉनेका मीटिंग में पाकिस्तानी प्रतिनिधि की मौजूदगी तक की इजाजत नहीं दी। पाकिस्तान की गुहार पर चीन ने सिक्योरिटी काउंसिल के मौजूदा अध्यक्ष पोलैंड से पाकिस्तानी प्रतिनिधि की मौजूदगी में काउंसिल की औपचारिक मीटिंग की मांग की थी, लेकिन वह सदस्य देशों की सहमति नहीं जुटा पाया, इसलिए चीन की पहल पर बंद कमरे में एक अनौपचारिक मीटिंग हुई। यही वजह है कि भारत इस मीटिंग को कुछ खास तवज्जो नहीं दे रहा था।

सरकारी दफ्तर खुले, सोमवार से खुलेंगे स्कूल

श्रीनगर – जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने और राज्य के पुनर्गठन के बाद घाटी में बने हालात तेजी से बदल रहे हैं। शुक्रवार से घटभ् में सरकारी दफ्तर खुल गए, जबकि कई स्थानों पर टेलिफोन, लैंडलाइन की सुविधा बहाल हो गई तो अगले सप्ताह से स्कूल खुलने लगेंगे। सोमवार से सड़कों पर यात्री वाहनों की आवाजाही भी शुरू हो जाएगी। राज्य के मुख्य सचिव बीआर सुब्रमण्यम ने शुक्रवार को प्रेस कान्फ्रेंस में इन फैसलों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सीमापार से होने वाले आतंकवाद को देखते हुए केंद्र सरकार की तरफ से सावधानी भरे कदम उठाए गए हैं। प्रदेश में स्थिति पूरी तरह से सामान्य है और अभी तक किसी मौत की खबर नहीं है और न ही किसी के गंभीर तौर पर घायल होने की खबर है। आने वाले दिनों में पाबंदियों में छूट दी जाएगी। मुख्य सचिव ने कहा कि शुक्रवार की प्रार्थना के बाद भी पूरे राज्य में स्थिति सामान्य रही। आने वाले दिनों में और छूट बढ़ाई जाएगी। वीकेंड के बाद क्षेत्रवार स्कूल खुलते जाएंगे। सरकारी दफ्तर खुल गए हैं और बड़ी संख्या में कर्मचारी भी पहुंचे हैं। मुख्य सचिव ने कहा कि आने वाले दिनों में क्षेत्रवार लोगों के आवागमन में भी छूट दी जाएगी। 22 में से 12 जिलों में स्थिति पूरी तरह से सामान्य है। पाकिस्तान के दुष्प्रचारों पर मुख्य सचिव ने कहा कि सीमापार से प्रायोजित आतंकवाद घाटी में लगातार अलगाववादी ताकतों को बढ़ावा देने की कोशिश करते रहे हैं।

घाटी में आतंकी हमले की फिराक में पाक, हाई अलर्ट

श्रीनगर— जम्मू-कश्मीर को लेकर भारत सरकार के फैसले से बौखलाया पाकिस्तान अपने नापाक मंसूबों को अंजाम देने की फिराक में है। राज्य में मौजूद सेना, एयर फोर्स समेत सभी सुरक्षाबलों को हाई अलर्ट पर रहने को कहा गया है। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी समूह घाटी में हमले को अंजाम देने की कोशिश कर सकते हैं। घाटी में तेजी से बदलते हालात से पाकिस्तान में बेचैनी बढ़ती जा रही है और वह आतंकियों को सीमापार कराने के लिए फायरिंग कर रहा है। हालांकि, उसका यह दांव उल्टा पड़ रहा है। सीमा पर मुस्तैद भारतीय जवान कई घुसैपठियों और पाकिस्तानी सैनिकों को ढेर कर चुके हैं। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने और राज्य के पुनर्गठन के बाद से पाकिस्तान हैरान-परेशान है। दूसरी तरफ कश्मीर में मौजूद शांति और तेजी से बदलते हालात ने उसकी बौखलाहट को और भी बढ़ा दिया है। राज्य में तैनात सुरक्षाबलों को पूरी तरह अलर्ट पर रहने को कहा गया है।