प्रदेश को स्वच्छ बनाने पर 15743.16 लाख खर्च

केंद्र और राज्य सरकार ने दिया पैसा, पिछले साल सबसे कम रकम ही खर्च हो पाई

शिमला -हिमाचल को स्वच्छ बनाने के लिए केंद्र और प्रदेश सरकार मिलकर काम कर रहे हैं। केंद्र की योजना के तहत यहां वर्ष 2015 से यह अभियान चलाया जा रहा है। इन्हीं प्रयासों की बदौलत हिमाचल को बाह्या शौचमुक्त बनाने में सफलता हासिल हुई है। हालांकि अभी भी सड़क किनारे शौचालय आदि की व्यवस्था सरकार नहीं कर पाई है, लेकिन घरों से बाहर शौच को लगभग पूरी तरह से बंद किया जा चुका है। इसी बूते हिमाचल को पुरस्कार भी हासिल हो चुका है। बताया जाता है कि अब तक राज्य में तीन साल में स्वच्छता अभियान के तहत 15743.16 लाख रुपए की धनराशि खर्ची जा चुकी है। स्वच्छ भारत मिशन के तहत राशि का व्यय सामुदायिक शौचालयों के निर्माण एवं ठोस व तरल कचरा प्रबंधन गतिविधियों  पर किया गया है। इसकी विस्तृत जानकारी सरकार ने विधानसभा में भी रखी है। प्रदेश सरकार इस अभियान को अपने स्तर पर भी चलाए हुए हैं और पंचायतों के माध्यम से यहां पर काम किया जा रहा है। जानकारी के अनुसार पिछले साल स्वच्छता अभियान पर मात्र 347.19 लाख रुपए की धनराशि ही खर्च की गई। यह पैसा काफी कम था, जिससे अभी भी कई काम अधूरे पड़े हुए हैं। इस साल सरकार इस योजना में केंद्र से अधिक से अधिक धनराशि हासिल करने के लिए प्रयास कर रही है। पिछले साल के मुकाबले वर्ष 2015-16 व 2016-17 में ज्यादा पैसा खर्च किया गया है। वर्ष 2015-16 में इस अभियान के तहत प्रदेश में 2709.77 लाख की धनराशि खर्च की गई। केंद्र सरकार ने उस साल में काफी ज्यादा पैसा प्रदेश को दिया है। इसके बाद 2016-17 में राज्य को 12686.20 लाख रुपए की राशि स्वच्छता अभियान के तहत मिली। साल दर साल यह राशि कम होती गई है और वर्ष 2017-18 में केवल 347.19 लाख की राशि ही स्वच्छता अभियान पर खर्च की जा सकी है।

गांवों में चलेगी डोर-टू-डोर गारबेज कलेक्शन स्कीम

प्रदेश में दो स्मार्ट सिटी हैं, जिनके अलावा शहरी क्षेत्रों में अब डोर-टू-डोर गारबेज की योजना भी शुरू हुई है। इसे अब ग्रामीण क्षेत्रों में भी शुरू किया जाना है, लेकिन इन योजनाआें को सिरे चढ़ाने के लिए सरकार को पैसा चाहिए। सरकार ने केंद्र से इस अभियान में ज्यादा पैसा देने की मांग की है।