प्रबोध सक्सेना की मुश्किलें बढ़ीं

चिदंबरम मामले में सेंट्रल विजिलेंस कमीशन ने की केस चलाने की सिफारिश

शिमला – पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम के केस में फंसे हिमाचल के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी प्रबोध सक्सेना की मुसीबतें बढ़ गई हैं। ताजा घटनाक्रम के बाद प्रबोध सक्सेना अग्रिम जमानत के लिए आवेदन कर सकते हैं।  जाहिर है कि इस केस में वर्ष 1990 बैच के आईएएस अफसर प्रबोध सक्सेना के खिलाफ चिदंबरम मामले में सेंट्रल विजिलेंस कमीशन ने केस चलाने की सिफारिश की है। सीवीसी ने अपनी सिफारिश में कहा है कि मामले की गंभीरता को देखते हुए इस केस के आरोपी अधिकारियों के खिलाफ प्रोसीक्यूशन मंजूरी दी जानी चाहिए।  सेंट्रल विजिलेंस कमीशन ने आर्थिक मंत्रालय को दी गई रिकेमंडेशन में कहा है कि इस केस में रिटायर्ड अधिकारियों तथा हिमाचल काडर के आईएएस अफसर प्रबोध सक्सेना के खिलाफ केस बनता है। इन सिफारिशों के बाद अब केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय भी आरोपी अधिकारियों के खिलाफ केस चलाने की मंजूरी प्रदान कर सकता है। हिमाचल के यह सीनियर ब्यूरोक्रेट प्रबोध सक्सेना विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड की ब्रांच के हैड थे। आरोप है कि उस दौरान आईएनएक्स मीडिया को 305 करोड़ रुपए की विदेशी धनराशि प्राप्त करने के लिए एफआईपीबी की मंजूरी दिलाने के लिए जमकर अनियमितताएं बरती गईं। इसके चलते सीबीआई ने प्रबोध सक्सेना के खिलाफ सरकार से केस चलाने की अनुमति मांगी थी। बता दें कि सेंट्रल विजिलेंस कमीशन की सिफारिशों के बाद केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय को आरोपी आईएएस अधिकारियों के खिलाफ केस चलाने की अनुमति देनी पड़ती है। बहरहाल सुप्रीम कोर्ट से अग्रिम जमानत की उम्मीद लगाए बैठे पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम को देश की शीर्ष अदालत से राहत नहीं मिली है। अब उनकी अग्रिम जमानत की याचिका पर 23 अगस्त को सुनवाई होगी।

सीबीआई ने कब्जे में लिया है संबंधित रिकार्ड

जाहिर है कि इस केस के सिलसिले में पिछले महीने सीबीआई की टीम ने हिमाचल में दबिश देकर प्रबोध सक्सेना से जुड़ा रिकार्ड कब्जे में लिया है। चूंकि यह मामला उस दौरान का है, जब प्रबोध सक्सेना एफआईपीबी के ब्रांच हैड थे। लिहाजा उनकी ब्रांच अनियमितताओं के घेरे में आई है।