बीपीएल मुक्त पंचायत ग्रामसभा का अधिकार

शिमला – पंचायत को बीपीएल मुक्त बनाना ग्रामसभा का अधिकार है। सरकार ने इस संबंध में कोई ऐसी अधिसूचना नहीं की है कि वह एक लाख लोगों को बीपीएल की सूची से बाहर करेगी। यह बात ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर ने विधानसभा में कही। श्री कंवर ने कहा कि सरकार एक लाख लोगों को बेहतर जीवन यापन के लिए सुविधाएं देगी, ताकि वे लोग बीपीएल की सूची से बाहर आ सकें। उन्होंने कहा कि सरकार की मंशा है कि जो गरीब हैं, वह अमीरों की सूची में हैं, न कि हमेशा गरीब ही रहें। विपक्ष द्वारा इस मामले में उठाए गए सवालों का जवाब देते हुए वीरेंद्र कंवर ने कहा कि सरकार इन लोगों की मददगार बनेगी। उन्हें चिन्हित करके उनके लिए सरकारी योजनाओं का अधिक से अधिक लाभ प्रदान करेगी, ताकि वह खुद-व-खुद बीपीएल की सूची से बाहर हो सकें। उन्होंने ऐलान किया कि दो अक्तूबर को अगली ग्रामसभा गरीबों को अमीर बनाने के लिए होगी। एक लाख परिवारों के लिए सरकार सेल्फ हेल्प गु्रप बनाकर मदद देगी। उन्होंने कहा कि वोट की राजनीति के कारण कई अपात्र बीपीएल की सूची में शामिल होते हैं, जिनको बाहर करने के लिए शर्तें रखी गई हैं। 10वीं पंचवर्षीय योजना में केंद्र सरकार ने जो प्रावधान किए थे, उनको यहां पर लागू किया जा रहा है। कुछ शर्तें हैं जिनमें 2500 रुपए मासिक की आमदनी दिखानी होगी, वहीं उसके पास एक हेक्टेयर से कम की जमीन हो या पक्का मकान न हो, जैसी कई शर्तें हैं, लेकिन इन शर्तों का भी पूर्व में उल्लंघन होता आया है। उन्होंने बताया कि राज्य में दो लाख 82 हजार लोग बीपीएल की सूची में हैं, जिनको मनरेगा में भी काम करना पड़ता है। ग्रामसभा की बैठक में यदि कोई पात्र व्यक्ति चयनित नहीं होता है, तो वह एसडीएम को अप्लाई कर सकता है। वहां पर भी सुनवाई न हो, तो वह अपना दावा जिलाधीश को पेश कर सकता है। फिर भी ग्रामसभा ही इस चयन के लिए सुप्रीम है।

आमदनी की शर्त गलत

नियम 62 में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के जरिए विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि 2500 रुपए की मासिक आमदनी की शर्त गलत है, क्योंकि न्यूनतम दिहाड़ी ही इससे ज्यादा की बनती है। ऐसे में यह शर्त लगाना सही नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ग्राम पंचायतों को बीपीएल मुक्त बनाने के लिए दवाब बना रही है और उनको इसकी एवज में सम्मानित किए जाने की बात हो रही है। इस तरह के निर्देश सहन नहीं किए जाएंगे।