मीटर खराब, तो कैसे लगेगा स्पीड का पता

हमीरपुर – हिमाचल पथ परिवहन निगम के हमीरपुर डिपो ने हाल ही में बाहरी राज्यों में चलने वाले ड्राइवरों के लिए नए फरमान जारी किए हैं कि यदि सिक्स व फोरलेन में कोई भी ड्राइवर ओवरस्पीड चलता है और उसका चालान हो जाता है तो ड्राइवर को चालान का भुगतान अपनी जेब से करना होगा। इन फरमानों से जहां चालकों में रोष देखा जा रहा है, वहीं यह फरमान सबके लिए परेशानी का सबब भी बनते नजर आ रहे हैं। दरअसल जो चालक केंद्र शासित प्रदेश के सिक्स लेन में चलते हैं या फिर अन्य राज्यों के फोरलेन में चल रहे हैं, उनके ऑनलाइन चालान काटे जा रहे हैं, जो कि हर माह मंडलीय कार्यालय हमीरपुर में भुगतान के लिए पहुंच रहे हैं। हमीरपुर डिपो की ओर से कहा गया है कि जो भी चालक  हमीरपुर से बस लेकर चंडीगढ़ इत्यादि केंद्र शासित प्रदेश में जाएगा, उसकी बस की स्पीड लिमिट 50, जबकि फोरलेन में चलने वालों की स्पीड लिमिट 40 किलोमीटर प्रति घंटा होनी चाहिए। उधर, चालकों में इस बात को लेकर रोष है कि खटारा हो चुकी निगम की अधिकतर बसों में लगे स्पीडोमीटर खराब हैं तो हम कैसे पता लगाएं कि बस ओवरस्पीड है। यदि ऐसा ही करना है तो निगम को चाहिए कि पहले बसों के स्पीडो मीटर ठीक करवाए जाएं। बताया यह भी जा रहा है कि चालकों की स्पीड को अगर जीपीएस सर्वे से मापा जा रहा है, तो उनकी समयसारिणी व ओवरटाइम को भी जीपीएस सर्वे के आधार पर ही दिया जाए, क्योंकि अगर कोई चालक बस को 12 घंटे में दिल्ली पहुंचा देता है, तो उसे ओवरटाइम उस आधार पर दिया जाता है, जबकि जीपीएस सिस्टम की स्पीड लिमिट के अनुसार तो वह बस को 15 घंटे में पहुंचाएगा, तो ओवरटाइम भी अतिरिक्त दिया जाना चाहिए। चालकों के अनुसार आरटीओ की स्पीड लिमिट की समयसारिणी कुछ और होती है, जबकि एचआरटीसी की कुछ और।