मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट स्मार्ट सिटी हवा

प्रदेश सरकार ने न तो अपना शेयर डाला, न ही काम को दी मंजूरी

धर्मशाला    -प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पिछले कार्यकाल में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट का सपना जनता को दिखाया था, जिसके लिए केंद्र सरकार ने राज्य सरकार से मिलकर काम करने का निर्णय लिया था। इस परियोजना को केंद्र ने तो धनराशि जारी कर दी, लेकिन राज्य से मिलने वाली राशि नहीं मिल पाई। इसके चलते मामला अब लटक गया है। इतना ही नहीं, सरकार ने स्मार्ट सिटी परियोजना के लिए बनाई गई स्पेशल पर्पज व्हीकल कमेटी के प्रारूप से छेड़छाड़ करके पूर्व में चल रहे कार्यों को भी अधर में लटका दिया। इसका परिणाम यह हुआ कि केंद्र से मिली करीब 186 करोड़ से अधिक राशि के प्रस्तावित कार्य भी इस परियोजना के तहत नहीं हो पाए हैं। प्रदेश की दूसरी राजधानी धर्मशाला को स्मार्ट सिटी बनाने का सपना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिखाया था। इसके लिए उन्होंने बाकायदा 186 करोड़ से अधिक की राशि भी भेज दी थी, लेकिन प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद भाजपा की सरकार आई, तो जनता को इस शहर के सच में सुंदर बनने की उम्मीद जगी। प्रदेश सरकार के डेढ़ साल पूरे होने के बावजूद इस दिशा में कोई सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आ पाए हैं। हालात ये हैं कि पूर्व में स्वीकृत हो चुके कंट्रोल कमांड सेंटर, ई-बस, स्मार्ट रोड़ सहित अन्य बड़ी परियोजनाओं के काम भी रोक भी दिए गए हैं। एसपीवी यानी स्पेशल व्हीकल पर्पज कमेटी के प्रारूप से छेड़छाड़ कर इसमें 18 सदस्यों की सरकारी अधिकारियों की फौज डालने से इसकी बैठक ही नहीं हो पा रही है, जिसमें कोई निर्णय हो सके। पूर्व में मंजूर हुए सोलर पावर प्लांट, सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट व स्मार्ट क्लास रूम के कार्य करीब पूरा होने वाले हैं, लेकिन राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद माना जा रहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सपने को पूरा करने के लिए प्रदेश भाजपा सरकार पूरा प्रयास करेगी,  लेकिन काम आगे नहीं बढ़ा। उधर, विभागीय अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने स्मार्ट सिटी योजना के अनुसार तैयार सभी योजनाएं सरकार की मंजूरी को भेज दी हैं। मंजूरी मिलते ही काम शुरू हो जाएंगे।