लघु उद्योगों की अपार संभावना

लाभ सिंह

लेखक, कुल्लू़ से हैं

राज्य में औद्योगिक निवेश व उद्योग विस्तार के लिए सरकार द्वारा वर्ष 2013 में नई औद्योगिक नीति अपनाई गई थी। इसका मुख्य लक्ष्य हिमाचल प्रदेश को एक आदर्श औद्योगिक राज्य बनाना है। इसके माध्यम से सरकार द्वारा राज्य में धारणीय व समावेशी विकास एवं पर्यावरण पहलुओं को केंद्र में रखकर राज्य की आय बढ़ाने व राज्य में नए रोजगार के अवसर उपलब्ध करवाने पर बल दिया गया है…

 राज्य सरकार राज्य में उद्योगों के विकास पर दृढ़ संकल्प दिखती है। धर्मशाला में प्रस्तावित इन्वेस्टर्स मीट के लिए राज्य सरकार पहले से ही निवेशकों के लिए जमीन तैयार कर रही है। हिमाचल में सभी सरकारों का प्रयास निवेशकों को आकर्षित करने व राज्य को एक विकसित औद्योगिक राज्य बनाने का रहा है। लेकिन हिमाचल की मुश्किल भौगोलिक स्थिति एवं पर्यावरणीय संवेदनशीलता के कारण राज्य में उद्योगों का अधिक विकास नहीं हो सका है। यही कारण है कि वर्तमान में हिमाचल में केवल 140 बड़ी औद्योगिक इकाइयां हैं।

राज्य में औद्योगिक निवेश व उद्योग विस्तार के लिए सरकार द्वारा वर्ष 2013 में नई औद्योगिक नीति अपनाई गई थी। इसका मुख्य लक्ष्य हिमाचल प्रदेश को एक आदर्श औद्योगिक राज्य बनाना है। इसके माध्यम से सरकार द्वारा राज्य में धारणीय व समावेशी विकास एवं पर्यावरण पहलुओं को केंद्र में रखकर राज्य की आय बढ़ाने व राज्य में नए रोजगार के अवसर उपलब्ध करवाने पर बल दिया गया है। इसके प्रमुख लक्ष्यों में पर्यावरण मानकों को केंद्र में रखते हुए धारणीय औद्योगिक विकास हासिल करने पर बल दिया गया है। उद्योग क्षेत्र में 15 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर हासिल करने का लक्ष्य रखा गया है। 2022 तक विनिर्माण क्षेत्र के योगदान को सकल राज्य घरेलू उत्पाद के 25 प्रतिशत तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। सिंगल विंडो क्लीयरेंस के माध्यम से उद्योग क्षेत्र के लिए व्यापार सुगमता और समयबद्ध सेवाएं उपलब्ध करवाना भी इसमे शामिल है। विनिर्मित उत्पादों के लिए परिवहन की उचित सुविधा उपलब्ध करवाना भी लक्ष्य है।

अनुसंधान व औद्योगिक अपशिष्ट निवारण के साथ-साथ जल की उपलब्धता व इसके उचित प्रबंधन पर जोर दिया गया है। राज्य में कौशल विकास को बढ़ावा देकर राज्य के बेरोजगार युवाओं को रोजगार के नए अवसर उपलब्ध करवाना भी इसमे शामिल हैं। लेकिन अभी तक इस क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि हासिल नहीं हो सकी है।  सरकार इस दिशा में प्रयासरत है और आने वाले समय में इसके सकारात्मक परिणाम नजर आ सकते हैं। हिमाचल प्रदेश के यदि विकास की बात करें तो हिमाचल प्रदेश देश के सबसे उन्नत सामाजिक, आर्थिक विकास वाले राज्यों में से एक है। हालांकि उद्योग क्षेत्र में हिमाचल बड़े उद्योगों की स्थापना में अधिक तरक्की नहीं कर पाया है लेकिन फिर भी हिमाचल अपने छोटे व मध्यम उद्योगों के माध्यम से औद्योगिक विकास यात्रा को लगातार शिखरों की तरफ  ले जा रहा है। वर्ष 1951-52 में जहां हिमाचल में उद्योग क्षेत्र का योगदान सकल राज्य घरेलू उत्पाद का केवल एक प्रतिशत था, वहीं यह वर्ष 2017-18 में बढ़कर 29 प्रतिशत हो गया है और वृद्धि दर 6 प्रतिशत से ऊपर है। यह संकेत निश्चित तौर पर सकारात्मक तरक्की के परिचायक हैं। वर्तमान में राज्य में 522 मध्यम एवं 48 हजार के करीब लघु औद्योगिक इकाइयां हैं। जिनमें सबसे अधिक बड़ी व मध्यम इकाइयां सोलन जिले में स्थित हंै, जबकि लघु इकाइयों की अधिकता कांगड़ा जिले में है। राज्य में बद्दी, बरोटीवाला,नालागढ़, परवाणू एवं सोलन कुछ प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र हैं। जिनमें दवा निर्माण व इलेक्ट्रोनिक उपकरण निर्माण आदि शामिल है।

इसके अलावा राज्य में सीमेंट उद्योग भी स्थापित किए गए हैं, जिनमें दाड़लाघाट, राजवन, बरमाणा आदि शामिल हंै। कुल्लू में शमशी औद्योगिक क्षेत्र है व ऊना के मैहतपुर में शराब उद्योग स्थापित किया गया है। इसके अलावा राज्य में पर्यटन को भी एक उद्योग के रूप में स्वीकृति दी गई है। इससे एक बात तो साफ  नजर आती है कि राज्य में छोटे उद्योगों को स्थापित किए जाने की अपार संभावनाएं हैं। हालांकि इसकी मुश्किल भौगोलिक संरचना के कारण यहां पर बड़े उद्योगों को विकसित करना आसान नहीं है।

बड़े उद्योगों की स्थापना काफी हद तक कच्चे माल की उपलब्धतता, परिवहन की सुविधाए, बाजार तक पहुंच, जल और विद्युत की उपलब्धताए पंूजी निवेश और रोजगार की संभावनाओं पर निर्भर करती है। राज्य में जल और विद्युत की सुविधा के अलावा बाकी सब सुविधाएं सीमित तौर पर विद्यमान हंै। इस कारण राज्य में बड़े उद्योगों को स्थापित किए जाने की संभावनाएं बहुत हद तक सीमित हंै। लेकिन राज्य के लगभग सभी जिलों में छोटे व मध्यम उद्योग स्थापित किए जाने की अपार संभावनाएं हंै। इसके अलावा राज्य में पर्यटन, मछली उत्पादन, कृषि प्रसंस्करण उद्योग, फल प्रसंस्करण उद्योग, खादी उद्योग, हथकरघा उद्योग, दुग्ध उत्पाद उद्योगों को बढ़ावा दिया जा सकता है। राज्य में प्राकृतिक गैस के पाय जाने की बात भी सामने आई है। इस क्षेत्र में भी उद्योग स्थापित किए जाने की संभावनाएं खोजी जा सकती हैं। इससे राज्य में रोजगार की संभावनाओं के साथ-साथ राज्य के आय संसाधनों में भी वृद्धि होगी तथा औद्योगिक नीति के तहत रखे गए प्रमुख लक्ष्यों को भी हासिल किया जा सकेगा।

हिमाचली लेखकों के लिए

लेखकों से आग्रह है कि इस स्तंभ के लिए सीमित आकार के लेख अपने परिचय तथा चित्र सहित भेजें। हिमाचल से संबंधित उन्हीं विषयों पर गौर होगा, जो तथ्यपुष्ट, अनुसंधान व अनुभव के आधार पर लिखे गए होंगे।     -संपादक