समस्त पापों को हर लेती है अजा एकादशी

अजा एकादशी या ‘कामिका एकादशी’ का व्रत भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की एकादशी को किया जाता है। इस एकादशी के दिन किया जाने वाला व्रत समस्त पापों और कष्टों को नष्ट करके हर प्रकार की सुख-समृद्धि प्रदान करता है। अजा एकादशी के व्रत को करने से पूर्व जन्म की बाधाएं दूर हो जाती हैं। इस एकादशी को ‘जया एकादशी’ तथा ‘कामिका एकादशी’ भी कहते हैं। इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु के ‘उपेंद्र’ स्वरूप की पूजा-आराधना की जाती है तथा रात्रि जागरण किया जाता है। इस पवित्र एकादशी के फल लोक और परलोक दोनों में उत्तम कहे गए हैं। अजा एकादशी व्रत करने से व्यक्ति को हजार गौदान करने के समान फल प्राप्त होते हैं। व्यक्ति द्वारा जाने-अनजाने में किए गए सभी पाप समाप्त होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि दोनों उसे प्राप्त होती हैं।

व्रत की विधि

अजा एकादशी का व्रत करने के लिए व्यक्ति को एकादशी तिथि के दिन शीघ्र उठना चाहिए। उठने के बाद नित्यक्रिया से मुक्त होने के बाद सारे घर की सफाई करनी चाहिए और इसके बाद तिल और मिट्टी के लेप का प्रयोग करते हुए, कुशा से स्नान करना चाहिए। स्नान आदि कार्य करने के बाद भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। भगवान श्रीविष्णु का पूजन करने के लिए एक शुद्ध स्थान पर धान्य रखने चाहिए। धान्यों के ऊपर कुंभ स्थापित किया जाता है। कुंभ को लाल रंग के वस्त्र से सजाया जाता है और स्थापना करने के बाद कुंभ की पूजा की जाती है। इसके पश्चात कुंभ के ऊपर विष्णु जी की प्रतिमा या तस्वीर लगाई जाती है। अब इस प्रतिमा के सामने व्रत का संकल्प लिया जाता है। बिना संकल्प के व्रत करने से व्रत के पूर्ण फल नहीं मिलते हैं। संकल्प लेने के बाद भगवान की पूजा धूप, दीपक और पुष्प से की जाती है।