स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट पर केंद्र का यू टर्न

90ः10 रेशो के बजट प्रस्ताव को कर दिया अस्वीकार, 50 प्रतिशत मदद देगी मोदी सरकार

शिमला -प्रदेश के दो स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के लिए फंडिंग पर मोदी सरकार ने यू टर्न कर दिया है। हालांकि प्रोजेक्ट के लिए पहले 90ः10 के हिसाब से केंद्र और राज्य सरकार से फंडिंग होनी थी, लेकिन तीन साल पहले यानी 2016 को केंद्र सरकार ने उसे अस्वीकार कर दिया। ऐसे में अब प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार दोनों को 50ः50 के हिसाब से फंडिंग करनी होगी। जब तक केंद्र से इस मसले पर अंतिम फैसला नहीं होगा, तब तक इसी पैटर्न से गुजरना पड़ेगा। इस सदर्भ में सरकार की ओर से विधानसभा मानसून सत्र में जानकारी दी है। गौरतलब है कि केंद्र की मोदी सरकार ने धर्मशाला को मई 2016 और शिमला को जून 2017 में स्मार्ट सिटी का तोहफा दिया था। वर्ष 2016 में जब वीरभद्र सरकार थी, तो इस प्रोजेक्ट के लिए 90ः10 बजट यानी केंद्र से 90 प्रतिशत और राज्य सरकार से 10 प्रतिशत में करवाने के लिए मोदी सरकार के समक्ष प्रस्ताव रखा था, जिसे नौ सितंबर 2016 को अस्वीकार कर दिया गया। केंद्र सरकार द्वारा तय लक्ष्य के मुताबिक धर्मशाला स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट का काम 2022 तक पूरा होना है। स्मार्ट सिटी धर्मशाला में 2109.69 करोड़ की लागत से 74 प्रोजेक्टों पर काम चल रहा है। अभी तक धर्मशाला के लिए केंद्र सरकार ने 196 करोड़ और प्रदेश सरकार ने 26.89 करोड़ की राशि जारी कर दी है। दूसरी तरफ स्मार्ट सिटी शिमला पर एनजीटी का डंडा पहले से ही चल पड़ा है, जिस कारण यहां 53 में मात्र छह प्रोजेक्ट्स पर ही काम हो सकता है। एनजीटी ने राजधानी शिमला में नगर निगम के दायरे में भवन निर्माण सहित अन्य विकास कार्यों के लिए कई शर्तें लागू की हैं, जिसका प्रभाव स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट पर पड़ रहा है। एनजीटी ने शिमला के कोर और ग्रीन एरिया में दो मंजिला और एक एटिक फ्लोर मकान से अधिक पर रोक लगा दी है। इसके साथ-साथ ग्रीन एरिया में विकास कार्य के लिए भी पेड़ नहीं कटेंगे। ऐसी स्थिति में शिमला स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट अधर में लटक चुका है। हालांकि प्रदेश सरकार ने एनजीटी के आदेशों को चुनौति देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर चुकी है, जिस पर अक्तूबर माह में सुनवाई होनी है।

अब तक मिले सौ करोड़ रुपए

स्मार्ट सिटी शिमला के लिए अब तक केंद्र और राज्य सरकार की ओर से सौ करोड़ का बजट मिल चुका है। इसमें से 58 करोड़ और हिमाचल सरकार से 42 करोड़ की राशि जारी हो चुकी है। बता दें कि नौ अगस्त, 2017 को शिमला को स्मार्ट सिटी का दर्जा मिला था।

अमृत में केंद्र से मांगे 90 करोड़

अमृत मिशन यानी अटल मिशन फॉर रेजुवेनेशन एंड अर्बन ट्रांसफॉर्मेशन के तहत प्रदेश सरकार ने केंद्र से 90 करोड़ की अतिरिक्त राशि की मांग की है। नगर निगम शिमला और नगर परिषद कुल्लू को इस मिशन के तहत शमिल किया गया है।