25 हजार बेसहारा गउओं को मिलेगा आशियाना

शिमला  – हिमाचल प्रदेश में 25 हजार पहाड़ी गउओं को अब जल्द आशियाना मिलेगा। केंद्र के पशुपालन मंत्रालय ने सड़कों पर घूम रही गउओं को गो सदन बनाने के लिए बजट देने का आश्वासन दिया है। बताया जा रहा है कि अब प्रदेश के हर जिले में जरूरत के हिसाब से दो व तीन गो सदन नए खुलेंगे। जिन जिलों के सर्वे में पहाड़ी गउओं की संख्या ज्यादा पाई गई, तो ऐसे में उक्त जिले को बजट की राशि ज्यादा  दी जाएगी। विभागीय जानकारी के अनुसार वर्तमान में भी प्रदेश सरकार ने भी अतिरिक्त गो सदन बनाने को लेकर हरी झंडी दी है, उधर, अब केंद्र से भी गो सदन के लिए करोड़ों का बजट मिलने के बाद पशुपालन विभाग ने राहत की सांस ली है। बता दें कि पशुपालन विभाग को एक माह के अंदर गो सदन की जरूरत के हिसाब से प्रोपोजल भेजने के आदेश हुए हैं, उसके बाद केंद्र सरकार करोड़ों का बजट पशुपालन विभाग को जारी करेगी। गौर हो कि प्रदेश की लगभग 25 हजार पहाड़ी गउएं सड़कों पर आशियानें की तालाश में हैं। हैरत है कि गाय को गो माता कहने वाले प्रदेश वासियों के दिलों में अभी भी मानवता नहीं आई है। जुबान पर गाय को माता और जब उसी गो माता से कोई फायदा नहीं, तो उसे सड़कों पर छोड़ा जा रहा है। पशुपालन विभाग के हाली में किए गए सर्वे में खुलासा हुआ है कि राज्य के हर जिले में दूध न देने की सूरत में गाय को सड़कों पर खुले में छोड़ दिया जा रहा है। ऐसे में जहां बेसहारा गुम रही गउओं को कई तरह की बीमारियां व भूखे की स्थिति से गुजरना पड़ रहा है, वहीं सड़कों पर इस तरह से बेसहारा घूम रही गउओं से प्रदेश की सही छवि भी अच्छी नहीं बन रही है। हालांकि केंद्र सरकार की योजना के तहत अब गो सदनों में गउओं की पूरी सेवा की जाएगी। स्वास्थ्य जांच से लेकर उनकी रखवाली के लिए विशेष तौर पर एक कर्मी तैनात किया जाएगा। बता दें कि हिमाचल में गउओं को गो सेवा सदन में रखने के लिए जगह भी कम पड़ गई है। बताया जा रहा है कि पशुपालन विभाग सड़कों में घूम रही गउओं को आइडेंटीफाई करने के बाद भी गो सदनों में अभी तक नहीं रख पाया है। बताया जा रहा है कि प्रदेश के सभी गो सदन पैक हो गए हैं। वहीं एक भी गो सदन में गाय रखने के लिए जगह नहीं है। हालांकि विभागीय जानकारी के अनुसार राज्य के पांच से छह ऐसे जिले हैं, जहां पर सबसे ज्यादा गउएं सड़कों पर घूमने को मजबूर हैं। इसमें शिमला, सोलन, सिरमौर, कांगड़ा, बिलासपुर व हमीरपूर क्षेत्र है। यहां पर बेसहारा घूम रही गउओं के लिए आशियाना मुहैया करवाने में प्रदेश सरकार व पशुपालन विभाग नाकाम रहा है। गौर हो कि प्रदेश सरकार ने पशुपालन विभाग को भी यह आदेश जारी किए थे, कि हर जिले में एक व दो गो सदन न होकर बल्कि जरूरत के हिसाब से बनाए जाएं।

प्राकृतिक खेती कम करेगी आवारा गउओं का आकंड़ा

प्रदेश में आवारा गायों की बड़ती जा रही संख्या को देखते हुए अब केवल प्राकृतिक खेती ही एक ऐसा विकल्प बचा है, जिससे की पहाड़ी गउओं को दूसरी बार अडॉप्ट किसानों द्वारा किया जाए। हालांकि किसान केवल पहाड़ी गउओं को ही अडॉप्ट जीरो बजट खेती से करेंगे। ऐसे में दस प्रतिशत जर्सी गउओं को गो सेवा सदन का निर्माणक करने के अलावा ओर कोई रास्ता नहीं।