अपना छप्पर खुद मत फाड़ो

 डा. विनोद गुलियानी, बैजनाथ

जब किसी को अप्रत्याशित अथाह धन मिल जाए तो आम कहा जाता है कि ‘भगवान जब देता है तो छप्पर फाड़ के देता है’, यह धन पाना चाहे लाटरी से हो या रानो मंडल जैसी गायक द्वारा हो, जो फुटपाथ से सीधी महल में आ गई। ठीक इसके विपरीत यदि कोई अनर्थपूर्वक धन संचित कर ले तो इसे कह सकते हैं कि अपना छप्पर खुद फाड़ लिया, जैसा कि पूर्व मंत्री चिदंबरम के केस में हुआ, जिसके फलस्वरूप नौकरों-चाकरों के बीच सेवारत होने वाला जेल में आ गया। भाव सीधा है कि धन अर्जन अनर्थपूर्वक नहीं होना चाहिए। धार्मिक ग्रंथों में कहा भी गया है कि अनुचित तरीके से कमाया गया धन इनसान को नहीं पचता है।