कश्मीर के सही हालात बताए सरकार

आर्टिकल 370 हटाने के बाद जम्मू-कश्मीर पर सुप्रीम कोर्ट ने मांगा हल्फनामा

नई दिल्ली – जम्मू-कश्मीर के हालात को लेकर दाखिल अलग-अलग याचिकाओं पर सोमवार को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को दो हफ्ते में कश्मीर की पूरी तस्वीर सामने रखने का निर्देश दिया है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एसए बोबडे और जस्टिस अब्दुल नजीर की पीठ ने साथ ही केंद्र सरकार और जम्मू-कश्मीर प्रशासन को निर्देश दिया कि राज्य में जल्द से जल्द हालात सामान्य बनाए जाएं। कोर्ट ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए स्थिति सामान्य की जाए और स्कूलों व अस्पतालों को फिर से शुरू किया जाए। इस मामले की अगली सुनवाई अब 30 सितंबर को होगी। आर्टिकल 370 के ज्यादातर प्रावधानों को हटाने के सरकार के फैसले और नेशनल कान्फे्रंस के नेता व सांसद फारूख अब्दुल्ला की नजरबंदी के खिलाफ भी याचिकाएं दाखिल की गई हैं। तमिलनाडु के नेता और एमडीएमके के संस्थापक वाइको की याचिका पर सर्वोच्च अदालत ने केंद्र को 30 सितंबर तक जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल से पूछा कि किस कारण से आपने कहा कि कश्मीर में समाचार पत्र प्रकाशित हो रहे हैं? कोर्ट ने एजी से यह भी पूछा कि कश्मीर घाटी में इंटरनेट और फोन अभी तक काम क्यों नहीं कर रहे हैं? घाटी में कम्युनिकेशन को क्यों बंद किया गया है? इस पर केंद्र ने पीठ को बताया कि कश्मीर स्थित सभी समाचार पत्र संचालित हो रहे हैं और सरकार हरसंभव मदद मुहैया करा रही है। प्रतिबंधित इलाकों में पहुंच के लिए मीडिया को ‘पास’ दिए गए हैं और पत्रकारों को फोन और इंटरनेट की सुविधा भी मुहैया कराई गई है। दूरदर्शन जैसे टीवी चैनल और अन्य निजी चैनल, एफएम नेटवर्क काम कर रहे हैं। पीठ ने अटॉर्नी जनरल से कहा कि वह इन हलफनामों का विवरण दें। एजी ने कहा कि मौजूदा हालात में इंटरनेट और फोन बंद करने का फैसला राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखकर किया गया। उधर, एमडीएमके चीफ वाइको की याचिका पर उनके वकील ने कोर्ट में कहा कि फारूख अब्दुल्ला की नजरबंदी पर केंद्र सरकार अलग-अलग तर्क दे रही है। सरकार की ओर से कहा गया है कि पब्लिक सेफ्टी ऐक्ट के तहत नेशनल कान्फ्रेंस के नेता को नजरबंद किया गया है। इसके तहत दो साल तक किसी शख्स को बिना सुनवाई के हिरासत में रखा जा सकता है। फारूख केस में सुप्रीम कोर्ट ने आने-जाने और स्वतंत्रता की बात करते हुए केंद्र और जम्मू-कश्मीर सरकार को नोटिस जारी किया है। गौर हो कि जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले आर्टिकल 370 के प्रावधानों को खत्म किए जाने को चुनौती देने समेत इससे जुड़ी करीब आठ याचिकाओं पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई है। इन याचिकाओं में आर्टिकल 370 खत्म करने, जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की वैधता और वहां लगाई गई पाबंदियों को चुनौती दी गई है।