शिमला में बंदियों के भविष्य पर मंथन, दो दिवसीय सम्मेलन में जुटे 16 राज्यों के अफसर
कैदी कहेंगे मन की बात
देश की विभिन्न जेलों में सजा काटने के साथ अपने व्यवसाय को बढ़ावा देने वाले कुछ कैदी गुरुवार को अपने मन की बात सुनाएंगे। गुरुवार को कैदी पुलिस अफसरों के समक्ष अपनी आजीविका में सुधार लाने के लिए विचार रखेंगे। वे ऐसे कैदी हैं, जो जेल में सजा काटते-काटते कारोबार कर रहे हैं। इस दौरान वे बताएंगे कि सजा पूरी होने तक किस प्रकार से अपने परिवार की सहायता की जा सकती है।
समाज की ही जिम्मेदारी हैं कैदी
शिमला में कार्यक्रम के दौरान बोले राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय
शिमला – कारावास एवं सुधार सेवाओं द्वारा जेल में कैदियों को सकारात्मक कार्यो से जोड़ना विषय पर आयोजित सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि कैदी राज्य और समाज की जिम्मेदारी हैं। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि वह कैदियों के पुनर्वास के लिए किए जा रहे कार्यों में अपना सहयोग दें, ताकि उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ा जा सके। राज्यपाल ने बताया कि आपातकाल के दौरान वह जेल में रहे, जहां उन्हें कैदियों से बातचीत करने तथा उनके जीवन के संबंध में काफी कुछ जानने का अवसर प्राप्त हुआ। उन्होंने कहा कि जेलों में बंद इस मानव शक्ति का उचित दोहन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य ने कैदियों के पुनर्वास की दिशा में सराहनीय कार्य किया है और हर हाथ को काम परियोजना की भी व्यापक सराहना हुई है। उन्होंने इस सराहनीय परियोजना के लिए पुलिस महानिदेशक जेल सोमेश गोयल की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि देश की सभी जेलें कैदियों के कौशल विकास में एक महत्त्वपूर्ण योगदान दे रही हैं और जेल में रहते हुए कैदियों को परिश्रम कर आय अर्जित करने के अवसर प्रदान कर रही हैं।
कैदियों के पुनर्वास में सहयोग दें
अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह मनोज कुमार ने कहा कि कैदियों से जुड़ी अधिकतम समस्याओं का निवारण बेहतर बुनियादी ढांचे के विकास से किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि कैदियों के पुनर्वास के लिए अधिक प्रयास करने चाहिएं, ताकि वे जेल से निकलने के बाद समाज में सम्मान से जी सकें। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में कैदियों के लिए उठाए गए कदम अन्य राज्यों के लिए एक उदाहरण हैं। उन्होंने स्वयंसेवक संघों और औद्योगिक घरानों से भी कैदियों के पुनर्वास के लिए सहयोग देने का आग्रह किया।