प्रदेश में बढ़ने लगी स्नो लैपर्ड की तादाद

शिमला – देश के लिए यह खुशखबरी है कि हिमाचल प्रदेश में हिम तेंदुए की संख्या बढ़ रही है। राज्य के हिमालयी क्षेत्र में हिम तेंदुआ यानि स्नो लैपर्ड दिखाई दे रहा है और इसे सुरक्षित रखने के लिए राज्य सरकार एक महत्त्वपूर्ण प्रोजेक्ट पर काम कर रही है। इससे न केवल हिम तेंदुए का संरक्षण होगा, बल्कि उच्च हिमालयी क्षेत्रों का बेहतर प्रबंधन, सतत प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन एवं संरक्षण भी होगा। स्नो लैपर्ड को लेकर शिमला में हुए मंथन में सामने आया कि यहां पर स्नो लैपर्ड की संख्या 85 से 100 के बीच में है, जो कि लुप्त प्रायः जीव है और विश्व में बहुत कम मिल पा रहा है। हिमाचल के प्रदेश जनजातीय क्षेत्र लाहुल-स्पीति में ही इनकी संख्या 35 तक हो सकती है, ऐसा अनुमान है। लाहुल-स्पीति में इसे ट्रेस करने के लिए विशेष रूप से सीसीटीवी कैमरा लगाए गए हैं, जिनमें कई बार स्नो लैपर्ड स्पॉट हो चुके हैं। शिमला में गुरुवार को वन विभाग के वाइल्ड लाइफ विंग द्वारा सिक्योर हिमाचल, आजीविका संवर्धन सतत उपयोग एवं उच्च हिमालय पारिस्थितिकी तंत्र के पुनः स्थापन की प्रारंभिक कार्यशाला का आयोजन किया गया। यहां बताया गया कि सिक्योर हिमाचल प्रोजेक्ट 130 करोड़ रुपए का है, जो कि पिछले साल शुरू हुआ और 2024 तक चलेगा।  इसमें 21 करोड़ रुपए की राशि अनुदान के रूप में मिली है, वहीं 109 करोड़ की राशि संयुक्त राष्ट्र विकास तथा केंद्र व प्रदेश सरकार द्वारा सह वित्त पोषित की जाएगी। पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अधीन इस प्रोजेक्ट पर काम किया जा रहा है। राज्य के लाहुल, पांगी एवं किन्नौर के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में इस प्रोजेक्ट को चलाया जा रहा है। इसका मूल मकसद स्नो लैपर्ड का संरक्षण करना है। अवैध शिकार व अवैध विश्व व्यापार पर यहां रोक लगाने के लिए प्रबंध किया जा रहा है और लोगों को इन जानवरों के संरक्षण के साथ जोड़ने के लिए प्रोजेक्ट चलाया गया है।

जानवरों का संरक्षण जरूरी

कार्यशाला में वन मंत्री गोविंद ठाकुर विशेष रूप से पहुंचे, जिन्होंने कहा कि इस तरह के जानवरों को बचाने के लिए ऐसे प्रोजेक्ट पर काम करना अहम है। सरकार इसमें वन विभाग की पूरी मदद करेगी और ऐसे जानवरों का संरक्षण सुनिश्चित करेगी, जो विश्व में अपनी ख्याति रखते हैं।