राजनाथ सिंह तेजस में उड़े ही नहीं, उड़ाया भी

स्वदेशी लड़ाकू विमान में उड़ान भरने वाले पहले रक्षा मंत्री, 332 मीटर प्रति सेकंड की पकड़ी रफ्तार

बंगलूर – जंग के मैदान में हथियार गिराने की अचूक क्षमता हो या दुश्मन की मिसाइल से निपटने की कलाबाजी, भारत के स्वदेशी और हल्के लड़ाकू विमान तेजस को महारत हासिल है। दुश्मन के छक्के छुड़ाने की ताकत रखने वाले इसी फाइटर प्लेन में गुरुवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उड़ान भरी। वह तेजस में उड़ान भरने वाले पहले रक्षा मंत्री हैं। कमाल की बात यह है कि उन्होंने विमान में केवल उड़ान ही नहीं भरी, बल्कि कुछ देर के लिए तेजस का नियंत्रण भी संभाला। इसे अद्भुत और शानदार अनुभव बताते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि जैसे-जैसे कैप्टन नर्मदेश्वर तिवारी बताते रहे, मैं वैसा-वैसा करता चला गया। उन्होंने कहा कि बंगलूर के एचएएल हवाईअड्डे से स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान तेजस में उड़ान भरना अद्भुत और शानदार अनुभव था। दक्षिण पूर्व एशिया के देशों ने तेजस विमान खरीदने में रुचि दिखाई है। हम इस लेवल पर पहुंच गए हैं कि दुनियाभर में तेजस का निर्यात कर सकें। कैप्टन नर्मदेश्वर तिवारी ने बताया कि वह (राजनाथ) तेजस की फ्लाइंग क्वालिटी और स्मूथनेस को लेकर काफी संतुष्ट रहे। जब विमान मैक-1 (ध्वनि की गति 332 मीटर प्रति सेकंड) स्पीड पर पहुंचा तो मैंने इस बात की जानकारी उन्हें दी। वह काफी उत्साहित लग रहे थे। गौर हो कि वायुसेना ने दिसंबर 2017 में एचएएल को 83 तेजस जेट बनाने का जिम्मा सौंपा था। इसकी अनुमानित लागत 50 हजार करोड़ रुपए थी। रक्षा अनुसंधान और विकास संस्थान (डीआरडीओ) ने इसी साल 21 फरवरी को बंगलूर में हुए एयरो शो में इसे फाइनल ऑपरेशनल क्लीयरेंस जारी किया था। इसका आशय यह है कि तेजस युद्ध के लिए पूरी तरह से तैयार है। तेजस ने पिछले हफ्ते नौसेना में शामिल होने के लिए एक बड़ा परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा किया था। डीआरडीओ और एयरोनॉटिकल डिवेलपमेंट एजेंसी के अधिकारियों ने गोवा की तटीय टेस्ट फैसिलिटी में तेजस की अरेस्टेड लैंडिंग कराई थी। तेजस यह मुकाम पाने वाला देश का पहला एयरक्राफ्ट बन गया है। वैसे तो तेजस भारतीय ही है, लेकिन इसमें थोड़ी मदद विदेशियों की भी है। जैसे इसका इंजन अमरीकी है, राडार और हथियार इजरायली हैं और कई अन्य पुर्जे भी विदेश से लाए गए हैं। तेजस को हल्का विमान इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसका ढांचा कार्बन फाइबर से बना हुआ है। कमाल की बात है कि हल्का होने के बावजूद भी यह अन्य विमानों की तुलना में ज्यादा मजबूत है। रक्षा मंत्री का तेजस में उड़ान भरने का यह कदम एचएएल तथा वायुसेना के लिए मनोबल बढ़ाने वाला है और इससे सरकार तथा सेनाओं के तेजस में विश्वास का पता चलता है। डीआरडीओ ने गत 21 फरवरी को ही तेजस को युद्ध के लिए सक्षम लड़ाकू विमान का प्रमाण पत्र दिया था। गौर हो कि पूर्व रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण और पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल इससे पहले लड़ाकू विमान सुखोई में उड़ान भर चुकी है।

हथियार गिराने की अचूक क्षमता

एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ ने बताया कितेजस न सिर्फ लगातार हमले करने में सक्षम है, बल्कि सही निशाने पर हथियार गिराने की भी अचूक क्षमता रखता है। इसने हवा से हवा और हवा से जमीन दोनों मोड में अच्छा काम किया है। पायलट्स भी इससे काफी खुश हैं। यह विमान कंट्रोल करने में भी बेहद आसान है।

कम जगह में उड़ान भरने की खूबी

तेजस को उड़ान भरने के लिए आधे किलोमीटर से भी कम जगह की जरूरत पड़ती है। हाल ही में तेजस ने अरेस्टेड लैंडिंग टेस्ट पास किया है। इसका मतलब है कि यह विमान कम क्षेत्र में उड़ने के चलते युद्धपोत पर उतर भी सकता है और उड़ान भी भर सकता है।

आरकेएस भदौरिया होंगे नए वायुसेना प्रमुख

नई दिल्ली – वायुसेना के वाइस चीफ एयर मार्शल आरकेएस भदौरिया नए वायुसेना चीफ होंगे। वह एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ का स्थान लेंगे जो 30 सितंबर को रिटायर हो रहे हैं। एयर मार्शल भदौरिया ने मई में वाइस चीफ का पदभार ग्रहण किया था। भदौरिया एनडीए के पूर्व छात्र हैं और 15 जून, 1980 को वायु सेना के लड़ाकू दस्ते में शामिल हुए थे। वह भारत को जल्द ही मिलने वाले लड़ाकू विमान राफेल को भी उड़ा चुके हैं। भदौरिया को अपने करियर में परम विशिष्ट सेवा मेडल, अति विशिष्ट सेवा मेडल और वायु सेना मेडल से सम्मानित किया जा चुका है।