शिंकुला दर्रा पार कर पहली बार जांस्कर पहुंची गाड़ी

लद्दाख में त्योहार सा जश्न, 16600 फुट पार कर मनाली के तीन युवाओं ने बनाया रिकॉर्ड, गांव वालों ने खतग पहनाकर किया स्वागत

मनाली – लद्दाख की जांस्कर घाटी के हर गांव में इन दिनों त्योहार जैसा माहौल है। मनाली के तीन युवाओं ने शिंकुला दर्रा पार कर जहां सबसे पहले गाड़ी को जांस्कर के मुख्यालय पदुम पहुंचाने का रिकार्ड बनाया है, वहीं इस दुर्गम घाटी के लोगों का कठिन समय भी समाप्त होने वाला है। लद्दाख को यूटी बनाने के बाद यहां के लोगों को एक और अच्छी खबर सुनने को मिली है। मनाली से तीन लोग गाड़ी लेकर एक ही दिन में 16600 फुट ऊंचा शिंकुला दर्रा पार कर जांस्कर पहुंचे हैं। इस खबर के बाद जहां सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने मनाली के तीनों युवाओं को बधाई दी है, वहीं जांस्कर के हर गांव में युवाओं का गर्मजोशी के साथ स्वागत किया जा रहा है। मनाली से सुरेश शर्मा, होटल व्यवसायी व ट्रैवल एजेंट प्रीतम चंद और जय प्रकाश टोयोटा फॉर्च्यूनर गाड़ी लेकर मनाली से निकले थे और शिंकुला दर्रा पार कर दूसरी तरफ लखांग पहुंचे। कच्ची खड़ी पथरीली और तंग सड़क पार करने के बाद उन्हें कई मर्तबा गहरी और तेज बहाव वाली जांस्कर नदी पार करनी पड़ी। कई चुनौतियां पार करने के बाद वे घाटी के पहले गांव करग्याख पहुंचे, जहां लोगों ने खतग पहनाकर उनका स्वागत किया। इसके बाद तो वे जिस भी गांव पहुंचे जांस्कर को हिमाचल से सड़क के माध्यम से पहली बार जुड़ता देख सभी खुशी से उनका स्वागत करते चले गए। लोगों ने गाड़ी और तीनों युवाओं के साथ अनगिनत सेल्फी भी ली। स्थानीय लोगों और बीआरओ के अधिकारियों के अनुसार इससे पहले कुछ गाडि़यां लखांग तक तो आई थी, लेकिन यह पहली बार है कि कोई गाड़ी लाहुल के दारचा से चलते हुए व शिंकुला दर्रा पार कर जांस्कर पहुंची हो।

फिर इन्होंने बंधाई हिम्मत

प्रीतम, सुरेश और जय प्रकाश ने बताया कि सड़क की हालत कुछ जगह बहुत ही खराब थी। कुछ जगह रिपेयर करने के बाद जल्द ही यह सड़क आम गाडि़यों के लिए भी खुल जाएगी। उन्हें शिंकुला के नजदीक 70 आरसीसी के कमांडिंग ऑफिसर दीपक बिष्ट मिले, जिहोंने आगे जाने की हिम्मत बंधाई। जांगला गांव में जांस्कर के राजा रिगजिन दावा और रानी टशी लंगजोम ने भी अपने घर पर तीनों का जोरदार स्वागत किया।

दूर होंगी कई दिक्कतें

जांस्कर के लोगों को खरीददारी और हर जरूरी काम के लिए पूरे दिन के सफर के बाद करगिल या फिर दो दिन के सफर के बाद लेह आना पड़ता है। अधिकतर लोग गाड़ी और घोड़ों की मदद से सामान हिमाचल से लाते हैं। जांस्कर के अधिकतर बच्चे भी हिमाचल में पढ़ाई करते हैं। इस सड़क के दुरुस्त हो जाने के बाद अब लोग कुछ ही घंटों में लाहुल या मनाली पहुंच पाएंगे।

रच दिया इतिहास

38 बॉर्डर रोड टास्क फोर्स के कमांडर कर्नल उमा शंकर ने बताया कि तीनों युवाओं ने गाड़ी से शिंकुला से जांस्कर पहुंचकर इतिहास में अपना नाम दर्ज करवा लिया है। उन्होंने बताया कि दारचा-शिंकुला सड़क चौड़ा व पक्का करने का काम युद्धस्तर पर चला हुआ है। जांस्कर स्थित बीआरओ की 126 आरसीसी के सेकेंड कमांडिंग ऑफिसर आशीष रंजन ने कहा कि वे इन युवाओं से मिले और उन्हें इस सड़क मार्ग को सर्वप्रथम पार करने का गौरव प्राप्त करने के लिए बधाई दी। इस अवसर पर कृषि मंत्री डा. रामलाल मार्कंडेय ने भी मनाली के तीनों युवाओं को बधाई दी।