हिमाचल में अलविदा प्लास्टिक अभियान

अनुज कुमार आचार्य

लेखक, बैजनाथ से हैं

वर्ष 2018 में मनाए गए 45 वें पर्यावरण दिवस के लिए वैश्विक स्तर पर भारत को मेजबान देश बनाया गया था और इसकी थीम ‘बीट प्लास्टिक पॉल्यूशन’ रखी गई थी। वैश्विक स्तर पर पर्यावरण में निरंतर आ रही गिरावट के दुष्प्रभाव एवं आंकड़े चिंतनीय हैं। खेतों में फल-सब्जियों के लिए इस्तेमाल किए जा रहे रासायनिक उर्वरकों से उगने वाली फल-सब्जियां फायदेमंद कम और नुकसानदेह ज्यादा हैं…

हिमाचल प्रदेश सरकार ने प्रदेश को प्लास्टिक कचरे से मुक्त करने के उद्देश्य से एक महत्त्वपूर्ण निर्णय लेते हुए रिसाइकिल न होने वाले प्लास्टिक को खरीदने का निर्णय लिया है। प्रदेश के पर्यावरण विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के मसौदे को वित्त विभाग की मंजूरी के बाद राज्य में लागू किया जाएगा। राज्य में पहले से ही पहली जनवरी 1999 से रंगीन प्लास्टिक के उपयोग पर प्रतिबंध लागू है। इसी दिशा में एक और कदम बढ़ाते हुए हिमाचल प्रदेश सरकार ने रिसाइकिल न होने वाले प्लास्टिक कचरे को खरीदने का संकल्प दर्शा कर प्रदेश में जगह-जगह फैले प्लास्टिक के छोटे-मोटे कचरे से निजात दिलाने की दिशा की ओर कदम बढ़ाए हैं।

पर्यावरण सुरक्षा और संरक्षण के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 05 जून को मनाया जाने वाला विश्व पर्यावरण दिवस, संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा प्रकृति को समर्पित दुनिया भर में मनाया जाने वाला सबसे बड़ा उत्सव है। वर्ष 2018 में मनाए गए 45 वें पर्यावरण दिवस के लिए वैश्विक स्तर पर भारत को मेजबान देश बनाया गया था और इसकी थीम ‘बीट प्लास्टिक पॉल्यूशन’ रखी गई थी। वैश्विक स्तर पर पर्यावरण में निरंतर आ रही गिरावट के दुष्प्रभाव एवं आंकड़े चिंतनीय हैं। खेतों में फल-सब्जियों के लिए इस्तेमाल किए जा रहे रासायनिक उर्वरकों से उगने वाली फल-सब्जियां फायदेमंद कम और नुकसानदेह ज्यादा साबित हो रही हैं और कैंसर जैसी घातक बीमारी को बढ़ावा दे रही हैं। प्लास्टिक नॉन बायोडिग्रेडेबल है इसको जलाने से इससे डायोक्सीन तथा फयूरॉन जैसे घातक रसायन हवा के जरिए हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं और खतरनाक बीमारियों को आमंत्रित करते हैं।

पर्यावरण सुरक्षा की दृष्टि से प्लास्टिक का कचरा बेहद खतरनाक है। आज की तारीख में प्लास्टिक के बढ़ते उपयोग के कारण समुद्र, नदियां, नाले, पर्वत-पहाड़, भू-स्थल और हमारे आस-पड़ोस का परिवेश पूरी तरह से प्लास्टिक के कचरे से अटा पड़ा है। वैश्विक स्तर पर प्रतिवर्ष 30 करोड़ टन प्लास्टिक का उत्पादन किया जा रहा है। चूंकि प्लास्टिक का निपटान मुश्किल है, इसलिए इसका कचरा जगह-जगह पड़ा नजर आता है और प्राकृतिक सौंदर्य को ग्रहण लगाता प्रतीत होता है। अकेले समुद्र की गहराइयों में ही प्रतिवर्ष 80 लाख टन प्लास्टिक कचरा समा रहा है जो हजारों दुर्लभ जल-जंतुओं और वनस्पतियों को नुकसान पहुंचा रहा है। संपूर्ण विश्व में जितने भी अधिकतर उपभोक्ता उत्पादन हैं उनकी पैकिंग में प्लास्टिक का ही उपयोग किया जाता है। प्लास्टिक उत्पादन में पूरे विश्व के तेल का आठ प्रतिशत खर्च होता है और प्लास्टिक को पूरी तरह से नष्ट होने में 500 से ज्यादा वर्ष लगते हैं। प्लास्टिक का अत्यधिक उपयोग आज पूरी मानवता और जैव जगत के लिए खतरा बन चुका है। यही वजह है कि भारत के प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी ने पिछले दिनों ग्रेटर नोएडा के एक्सपो सेंटर में ‘यूनाइटेड नेशन कंजर्वेशन टू कंबैट डिजरटिफिकेशन’ के सीओपी में 200 देशों के प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए प्लास्टिक के खिलाफ  लड़ाई छेड़ने का आह्वान करते हुए प्लास्टिक को गुडबाय कहने की अपील की है। उन्होंने भारत में प्लास्टिक के इस्तेमाल पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की बात कहते हुए इस वर्ष दो अक्तूबर से प्लास्टिक के खिलाफ  मुहिम चलाने का संकल्प भी लिया। इतना ही नहीं अपने जन्मदिवस पर गुजरात के केवडिया में एक जनसभा में भी लोगों को संबोधित करते हुए प्लास्टिक के खिलाफ  जंग के अपने संकल्प में नरेंद्र मोदी ने लोगों को अपनी भागीदारी सुनिश्चित बनाने का आह्वान किया है।

सिंगल यूज प्लास्टिक मुक्त भारत बनाने की प्रधानमंत्री की अपील के मद्देनजर केंद्रीय उपभोक्ता मामले मंत्रालय ने प्लास्टिक बोतलों का विकल्प तलाशना शुरू कर दिया है। एकल उपयोग प्लास्टिक के इस्तेमाल को समाप्त करने के लिए इसे जन आंदोलन का स्वरूप प्रदान करने की आवश्यकता है। प्रधानमंत्री की अपील पर 11 सितंबर 2019 से ‘स्वच्छता ही सेवा’ अभियान की शुरुआत की गई है। आवश्यकता इस बात की है कि उपभोक्ताओं को बेची जाने वाली सभी खाद्य वस्तुओं की पैकिंग का विकल्प तलाशा जाए। पानी की बोतल और चाय पीने के लिए प्लास्टिक उत्पादों का प्रयोग समाप्त हो।

हम खादी और कपड़े के बने थैलों का इस्तेमाल करें। प्लास्टिक के कचरे को गड्ढा करके दबा दें। हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले को प्लास्टिक मुक्त बनाने के लिए जिला प्रशासन द्वारा कपड़े के बैग तैयार करवाए जा रहे हैं जो पात्र लोगों में वितरित किए जाएंगे और प्लास्टिक कचरे को जूट की बोरियों में भरकर चिन्हित स्थलों पर छोड़ा जाएगा। आदेशों का उल्लंघन करने और गंदगी फैलाने वालों का चालान करने का निर्णय भी लिया गया है। नागरिकों और प्रशासन की सक्रिय भागीदारी से ही हम प्लास्टिक मुक्त हिमाचल और भारत का सपना साकार कर सकते हैं।

हिमाचली लेखकों के लिए

लेखकों से आग्रह है कि इस स्तंभ के लिए सीमित आकार के लेख अपने परिचय तथा चित्र सहित भेजें। हिमाचल से संबंधित उन्हीं विषयों पर गौर होगा, जो तथ्यपुष्ट, अनुसंधान व अनुभव के आधार पर लिखे गए होंगे।     -संपादक