आंतरिक सफाई बेहद जरूरी

-राजेश कुमार चौहान, जालंधर

गांधी जी बाहरी और आंतरिक साफ-सफाई को महत्त्व देते थे। जब तक आंतरिक सफाई देश का हर नागरिक चाहे वह सत्ताधारी हो, राजनेता हो या अन्य लोग, नहीं करते, तब तक देश विभिन्न समस्याओं के मकड़जाल से कभी मुक्त नहीं हो सकता। उनकी कुछ आदतें जैसे कि वह गरीब और जात-पात के भेदभाव को भूलकर सभी को अपना परिवार का सदस्य मानते थे, उनके सुख-दुख में शामिल होते थे, दिखावे से परहेज आदि के आगे दुनिया भी नतमस्तक है, लेकिन आज बहुत से लोग अपने स्वार्थ के लिए राजनीति में आते हैं। कुछ लोग गांधी जयंती पर बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, कुछ ने तो गांधी की फोटो अपनी आफिस की कुर्सी के ऊपर लगाई होती है, लेकिन खुद नाक तक भ्रष्टाचार-फरेब के दलदल में धंसे होते हैं। आज देश को चलाने के लिए गांधी जैसे नेता की जरूरत है। जो सिर्फ  देश बारे बिना किसी स्वार्थ के सोचे। जो मात्र अमीरों के साथ मिलकर या फिर अमीर लोगों के सुख-दुख में ही शामिल न हो बल्कि गरीबों के साथ भी हमदर्दी रखे। गांधी जी दिखावा या अपने कामों के लिए अपने मुंह मियां मिठ्ठू भी नहीं बनते थे, जैसे की आज के सत्ताधारी या राजनेता। अगर आज लोग गांधी जी की बुरा मत बोलो, बुरा मत देखो और बुरा मत सुनो की शिक्षाओं पर ही अमल कर लें तो देश में बढ़ते गलत और अनैतिक कामों पर लगाम लग सकती है। लेकिन अफसोस आज कुछ लोगों की बुद्धि इस कद्र दूषित हो चुकी है कि जब तक वह किसी को बुरा न बोल ले, किसी के बारे बुरा सुन न ले और किसी का बुरा होते देख न ले तब तक उन्हें रोटी हजम नहीं होती।