आयुर्वेद टटोलेगा हिमाचल की नब्ज

मंत्रिमंडल की बैठक में आयुष नीति-2019 को मिली मंजूरी

शिमला  – प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में आयुष नीति-2019 को मिली मंजूरी आयुर्वेद क्षेत्र में मज़बूती लेकर आएगी। इसमें वेलनेस सेंटर का विस्तार काफी अहम रहने वाला है। दस प्राचीनतम विधियों के तहत सेंटर में मरीज़ों को इलाज देने पर बल दिया जाएगा। इसमें पंच कर्म, नेचरोपैथी, मर्म चिकित्सा, अनु शास्त्रा कर्मा, सिराविदेश, अग्निकर्मा, जालुका अविचरण, अलाबू कर्मा, मृतिका चिकित्सा और शतकर्मा विधि के तहत मरीजा़ें को इलाज दिया जाना तय किया जा रहा है।  इसमें चिकित्सकों को भी स्पेशल ट्रेनिंग दी जाने वाली है। फिलहाल प्रदेश में आयुर्वेद पद्धति को मज़बूती देने के लिए सरकार द्वारा यह कदम उठाया गया है, जिसमें आयुर्वेद ओपीडी में मरीजा़ें के ग्राफ को बढ़ाने पर विशेष काम किया जाएगा। इसमें वेलनेस सेंटर क ो मज़बूती देना इसमें काफी अहम है। इसमें आयुर्वेद चिकित्सकों को देश में उन स्थानों पर ट्रेनिंग पर भेजा जाएगा, जहां पर आयुर्वेद की प्राचीनतम विधाआें का गढ़ मौजूद है। विशेषज्ञों का मानना है कि  आयुर्वेद में इलाज की 10 ऐसी विधियां हैं, जिन पर प्रदेश बारीकी से काम कर सकता है। यह भी कहा जा रहा है कि प्रदेश में इलाज की पुरानी विधियों में आयुर्वेद काफी लोकप्रिय रही है। इसे दोबारा से आयुष नीति-2019 के तहत पुनर्जीवित किया जाएगा।  इस योजना में सबसे हिमाचल में आयुष नीति से प्रदेश आयुर्वेद की नब्ज़ को सुधारा जाएगा। इसके लिए आयुष अस्पतालों और औषधालयों को स्तरोन्नत भी किया जाएगा। इस नीति का प्रमुख उद्देश्य द्वितीय एवं तृतीय स्तर पर आयुष चिकित्सा पद्धति को स्तरोन्नत एवं सुदृढ़ कर रोगियों को आयुर्वेद स्वास्थ्य केंद्रों में उपचार के लिए आकर्षित करना भी शामिल है। वहीं, जनता को आयुर्वेद विभाग के प्रति जनता को विश्वास दिलवाना भी शामिल है। गौर हो कि प्रदेश सरकार पहली बार हिमाचल प्रदेश राज्य आयुष नीति लेकर आई है। इस नीति के तहत आयुष थैरेपी यूनिट को स्थापित करने के लिए पूंजी सबसिडी पर 25 प्रतिशत का प्रावधान किया गया है, जो अधिकतम एक करोड़ रुपए तक हो सकता है। इसमें भूमि पर किया गया खर्च शामिल नहीं होगा तथा ऋण पर चार प्रतिशत ब्याज दिया जाएगा, जो प्रति वर्ष अधिकतम 15 लाख रुपए होगा। सात वर्षों के लिए 75 प्रतिशत की दर से शुद्ध एसजीएसटी प्रतिपूर्ति की सुविधा दी जाएगी।