इन्वेस्टर मीट के बाद प्रशासनिक फेरबदल

शिमला -इन्वेस्टर मीट के बाद जयराम सरकार अफसरशाही को फेंटेगी। इस फेहरिस्त में कई जिलों के डीसी-एसपी के नाम शामिल हैं। सेकंड टर्म डीसीशिप का चांस पाने वाले उपायुक्तों के कामकाज की राज्य सरकार ने बारीकी से समीक्षा की है। इसके चलते सुस्त अफसरों की इन्वेस्टर मीट के बाद फील्ड से राजधानी में लैंडिंग तय है। इसके अलावा राज्य सरकार अफसरशाही के उठापटक के चलते बड़े स्तर पर विभागीय सचिवों का फेरबदल करने के मूड में है। अब तक जयराम सरकार ने दो बड़े प्रशासनिक फेरबदल किए हैं। उल्लेखनीय है कि 27 दिसंबर को राज्य सरकार के दो साल का कार्यकाल पूरा हो जाएगा। मुख्यमंत्री ने अफसरशाही का मिजाज इन दो सालों में गहराई के साथ जान लिया है। इसके चलते प्रशासनिक सचिवों के विभागों में भी बड़े पैमाने पर फेरबदल संभावित है। मुख्य सचिव बीके अग्रवाल और अनिल खाची के केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने के बाद प्रदेश की अफसरशाही में हल्का-फुल्का बदलाव हुआ है। चूंकि अब अनिल खाची केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से लौट आए हैं और वरिष्ठता के आधार पर वह मुख्य सचिव के प्रबल दावेदार भी हैं। प्रधान सचिव प्रबोध सक्सेना के खिलाफ चिदंबरम मामले में चार्जशीट दायर होने के बाद उनसे पावर डिपार्टमेंट छिनना तय है। सरकार पहले ही उनसे वित्त विभाग वापस ले चुकी है। विधानसभा सत्र के दौरान अतिरिक्त मुख्य सचिव रामसुभग सिंह से पर्यटन विभाग वापस लिया गया है। आयुर्वेद विभाग को एक सप्ताह के भीतर तीसरा प्रशासनिक सचिव मिला है। अहम है कि हिमाचल काडर के आईएएस अफसर हर माह सेवानिवृत्त हो रहे हैं। इस कारण अफसरशाही में हुई इस उठापटक के कारण अब प्रशासनिक सचिवों को उनकी परफामेंस के आधार पर नए सिरे से तैनाती मिल सकती है। इसी तरह पौने दो साल के कार्यकाल में   सरकार की नजर में खरा न उतरे डीसी-एसपी को शिमला की वापसी का टिकट मिलना तय है।

देखी जाएगी एक्स्ट्रा आर्डिनेरी फरफार्मेंस

जयराम सरकार ने सत्ता में काबिज होने के बाद कुल्लू को छोड़कर सभी जिलों के उपायुक्तों को बदल कर कड़ा संदेश दिया था। दूसरी बार किए गए बड़े प्रशासनिक फेरबदल में सिर्फ मंडी के उपायुक्त को एक ही पिच पर बल्लेबाजी का मौका मिला। हालांकि उस दौरान डीसी किन्नौर का तबादला बाद में रद कर दिया था। इसके चलते जयराम सरकार ने दूसरा जिला पाने वाले उपायुक्तों को अब एक्सट्रा ऑर्डिनरी परफार्मेंस पर ही टिके रहने का मौका मिलेगा। डीसी कांगड़ा राकेश प्रजापति को उनकी परफार्मेंस के आधार पर ही हमीरपुर और ऊना के बाद प्रदेश के सबसे बड़े जिला कांगड़ा की कमान मिली है।