उपचुनाव में मुखर धर्मशाला के मुद्दे

हरि मित्र भागी

लेखक, धर्मशाला से हैं

आज धर्मशाला विधानसभा का चुनाव क्षेत्र उपचुनाव के रंग में रंगा हुआ है। बरसात का मौसम समाप्त हो चुका है व सर्द ऋतु का आगाज हो चुका है। जैसे-जैसे सर्दी बढ़ी रही है वैसे-वैसे चुनाव की गर्मी गर्म फिजाएं अपना रुख दर्शाने लगी हैं। दोनों मुख्य राजनीतिक दलों ने एक ही समुदाय को टिकट वितरण किया है। इसे संयोग कहें कि मजबूरी इसी दौर में ओबीसी वर्ग के उम्मीदवार का निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में उतरना कहीं त्रिकोणी टक्कर न बन जाए। कहा नहीं जा सकता कि ऊंट किस तरफ करवट बदलता है। कुछ मुद्दे हैं जो आम जनमानस को सोचने पर मजबूर करते हैं…

धर्मशाला जिसको प्राकृतिक वातावरण, पर्यटन, शिक्षा, आध्यामिक प्रशासनिक प्रदेश की दूसरी राजधानी, महामहिम दलाईलामा, तिब्बत की प्रवासी सरकार अनूठी पहचान बना चुका है। इसकी वादियां देश-विदेश से आए सैलानियों का मन मोह लेती हैं व उन्हें विशेष सकून की अनुभति होती है। आज धर्मशाला विधानसभा का चुनाव क्षेत्र उपचुनाव के रंग में रंगा हुआ है। बरसात का मौसम समाप्त हो चुका है व सर्द ऋतु का आगाज हो चुका है। जैसे-जैसे सर्दी बढ़ी रही है वैसे-वैसे चुनाव की गर्मी गर्म फिजाएं अपना रुख दर्शाने लगी हैं। दोनों मुख्य राजनीतिक दलों ने एक ही समुदाय को टिकट वितरण किया है। इसे संयोग कहें कि मजबूरी इसी दौर में ओबीसी वर्ग के उम्मीदवार का निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में उतरना कहीं त्रिकोणी टक्कर न बन जाए। कहा नहीं जा सकता कि ऊंट किस तरफ करवट बदलता है। कुछ मुद्दे हैं जो आम जनमानस को सोचने पर मजबूर करते हैं। केंद्रीय विश्वविद्यालय का धर्मशाला में निर्माण इसके महत्त्व के कारण न इसके वातावरण के कारण एक तर्क संगत व न्याय संगत निर्णय था, परंतु इसे बांट दिया गया। इसके बावजूद भी अभी तक इसका निर्माण पूर्ण नहीं हुआ। धर्मशाला अस्पताल जो कि पहले मेडिकल कालेज का भाग था उसकी स्थिति है कि भवन तो है परंतु स्टाफ की कमी है। विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी के कारण रोगियों को टांडा रैफर किया जाता है। एक डाक्टर छुट्टी पर चला जाए, तो उसका वैकल्पिक प्रबंध नहीं किया जाता, टांडा में इतने मरीजों को संभालना भी टेढ़ी खीर है।

धर्मशाला अस्पताल को जोनल अस्पताल का दर्जा दिया गया है। यहां इतने शैक्षणिक संस्थान, कार्यालय तिब्बती समुदाय पर्यटन स्थल है। यहां के अस्पताल के सारे विशेषज्ञ मशीनें उपकरण डाक्टर, स्टाफ पूरी सुविधाएं होना आवश्यक है। बार-बार टांडा या प्राइवेट अस्पतालों में मरीजों को क्यों जाना पड़े, सरकारी कार्यालयों में पूरा स्टाफ होना चाहिए। कोई छुट्टी पर हो तो उसका वैकल्पिक प्रबंध होना चाहिए। युद्ध संग्रहालय की इतनी बिल्डिंग बन चुकी है, परंतु उसका अभी तक प्रयोग नहीं हो रहा है। कांगड़ा क्षेत्र जो देवभूमि के साथ वीरभूमि भी माना जाता है। शहीद स्मारक के साथ युद्ध संग्राहालय को पूरी तरह कार्यान्वित किया जाए। देश-विदेश के पर्यटकों को देशसेवा में प्रदेश के वीरों की पहचान बन सकें। प्रदेश की दूसरी राजधानी बनी, सचिवालय बना, विधानसभा बनी तो इसका प्रयोग क्यों एक सप्ताह व मास के लिए हो। कम से कम पूरी शरद ऋतु तक इसका संचालन होना चाहिए। जब कुछ दिनों के लिए विधानसभा का संचालन होता है। उलटे अधिकारी व कार्यकारी कार्यालयों की बजाय विधानसभा के कार्यों के लिए व्यस्त होते हैं व जनमानस को अपना कार्य करवाना कठिन होता है। अक्तूबर गांधी जयंती से मार्च तक सरकार यहां से संचालित होनी चाहिए। शिमला से कई कार्यालय धर्मशाला शिफ्ट हो सकते हैं। स्मार्ट  सिटी तो बन गई परंतु आवारा पशु अभी तक सड़कों पर नजर आ रहे हैं। सड़कों का बुरा हाल है। स्ट्रीट लाइट पूरी तरह नहीं आई। लोकल बसें, कूड़ा-कचरा डंपिंग, पर्यावरण इनकी पूरी व्यवस्था आवश्यक हो। पार्किंग की व्यवस्था दिन-प्रतिदिन बढ़ती संख्या के कारण सुव्यवस्थित होनी आवश्यक है प्रशासनिक ट्रिब्यूनल की समाप्ति के कारण धर्मशाला में कर्मचारी न्याय के लिए आते थे, उनकी समस्या को देखते हुए व अन्य न्याय संबंधी समस्या को देखते हुए आवश्यक है कि यहां उच्च न्यायालय की बैंच होनी चाहिए। प्रस्तावित आईटी पार्क को कार्यान्वित किया जाए। विधानसभा क्षेत्र में स्वच्छ पानी की व्यवस्था की ओर विशेष ध्यान दिया जाए। नगर निगम की स्थापना के कारण पूरे वार्डों में सुविधाएं मिलना आवश्यक है। सरकार इन्वेस्टर मीट करवा रही है, तो अधूरे पड़े कार्य पहले वे तो पूरे करें। विभिन्न प्रत्याशियों व दलों से भी आशा की जाती है कि धर्मशाला की उपरोक्त समस्याओं पर अपना पक्ष रखेंगे।

हिमाचली लेखकों के लिए

लेखकों से आग्रह है कि इस स्तंभ के लिए सीमित आकार के लेख अपने परिचय तथा चित्र सहित भेजें। हिमाचल से संबंधित उन्हीं विषयों पर गौर होगा, जो तथ्यपुष्ट, अनुसंधान व अनुभव के आधार पर लिखे गए होंगे।

-संपादक