एक लाख मीट्रिक टन शहद का उत्पादन

पालमपुर -भारत शुद्ध प्राकृतिक शहद का आठवां सबसे बड़ा उत्पादक देश है, जहां सालान 1.05 लाख मीट्रिक टन शहद की पैदावार हो रही है। भारत संयुक्त राज्य अकरीका, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, बांग्लादेश व कनाडा आदि को 0.63 लाख मीट्रिक टन निर्यात करता है, जिसकी कीमत 732.16 करोड़ है।  मधु मक्खियां फसल के पौधों (मुख्यतः फलों और सब्जियों) के सबसे महत्त्वपूर्ण परागणक हैं जो परागण, उत्पादन और उत्पादकता को प्रभावित करते हैं। फलों, सब्जियों, ऑर्नामेंटल और औषधीय फसलों में मधुमक्खी पालन का एकीकरण किसानों को पर्याप्त अवसर, अतिरिक्त आय और स्वरोजगार के अवसर प्रदान करता है। मधुमक्खी पालन के आधुनिक वैज्ञानिक तरीकों का ज्ञान, प्रशिक्षण, शहद की गुणवत्ता के लिए समय व कीटनाशकों के सुरक्षित उपयोग के ज्ञान की भी आवश्यकता है। इसलिए मधुमक्खी पालन पर प्रशिक्षण के लिए समय-समय पर मधुमक्खी के उत्पादों और इसके विपणन के बारे में जागरूकता पैदा करना आवश्यक है। सीएसआईआर-आईएचबीटी पालमपुर में राज्य बागबानी विभाग के सहयोग से मुख्यमंत्री मधु विकास योजना के तहत मधुमक्खी पालन में नवीनतम प्रगति पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। किसानों को रॉयल जेली, प्रोपोलिस और मधुमक्खी का जहर जैसे उत्पादों के विभिन्न मूल्य से परिचित किया जा रहा है, जिसकी वैश्विक बाजार में उच्च मांग है। सौंदर्य प्रसाधन (क्रीम, कंडीशनर, फेस पैक, शैंपू आदि) और फार्मास्यूटिकल्स (डेंटल फिलिंग, मलहम के लिए आधार सामग्री) के लिए उपयोग किया जाने वाला मोम प्रोपोलिस का उपयोग एंटी इंफ्लेमेटरी, कोल्ड सोरेस, काकेर सोरेस, जलन, मधुमेह आदि के लिए किया जाता है। मधुमक्खी का जहर गठिया के विकारों जैसे मल्टीपल स्केलेरोसिस, रुमेटीइड आर्थराइटिस  के उपचार के लिए उपयोग किया जाता है।