कुल्लू दशहरा… अद्भुत…अलौकिक

कई सालों का इतिहास समेटे कुल्लू दशहरे का नज़ारा ही कुछ अलग भगवान रघुनाथ का रथ खींचने से ही पूरी हो जाती हैं मनोकामनाएं

कुल्लू  – अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव का इतिहास कई साल पुराना है। यह खास त्योहार 17वीं शताब्दी से संबंध रखने वाला है। कहते हैं कि जब यहां के स्थानीय राजा जगत सिंह ने अपने सिंहासन पर भगवान रघुनाथ की मूर्ति स्थापित की थी, जिसके बाद से भगवान रघुनाथ को घाटी का मुख्य देवता माना जाता है। पौराणिक किवंदती के अनुसार जब महर्षि जमदग्नी कैलाश से वापस आ रहे थे, तो उनके सिर पर एक बड़ी टोकरी थी, जिसमें 18 देवताओं की मूर्तियां थीं, लेकिन जब वह चंद्रखनी दर्रा पार कर रहे थे। तभी तेज तूफान आया और सभी मूर्तियां कुल्लू घाटी की अलग-अलग दिशाओं में बिखर गईं। बाद में मूर्तियां घाटी में रहने वाले लोगों को दिखीं, जिन्हें उन्होंने भगवान का रूप माना और उनकी पूजा करने लगे। इस स्थल से एक और किवदंती जुड़ी है, माना जाता है। यहां कभी राज करने राजा जगत सिंह को एक दिन पता चला कि यहां के किसी किसान के पास कई खूबसूरत मोती हैं। राजा ने उन मोतियों को हासिल करने के लिए फरमान जारी किया कि या तो किसान मोती राजा को दे या अपनी मौत के लिए तैयार हो जाए, पर असलियत में किसान के पास सिर्फ ज्ञान के मोती थे। राजा के हाथों मरने की बजाय किसान ने आत्महत्या कर ली, जहां उस किसान का श्राप राजा को लग गया कि जब भी वह भोजन करेगा, चावल के कीड़े बन जाएंगे और पानी खून। श्राप राजा को लगा और वह कभी कुछ खा न पाता और न ही पी पाता, जिससे उसकी हालत बिगड़ने लगी और वह गंभीर रूप से बीमार पड़ गया। वैध, हकीमों का इलाज भी उस पर न चलाने लगा। एक दिन राजा को किसी ब्राह्मण ने बताया कि भगवान राम ही उनकी रक्षा कर सकते हैं, जिसके बाद अयोध्या से भगवान राम की मूर्ति लाई गई और भगवान के चरणअमृत से राजा की जान बची। बाद में जब मूर्ति वापस ले जाई गई, तो मूर्ति अयोध्या के लिए आगे बढ़ते ही भारी हो जाती और कुल्लू की तरह हल्की। आज यह प्रतिमा यहां आयोजित होने वाले दशहरा त्योहार का मुख्य आकर्षण हैं। इस दिन भगवान रधुनाथ की रथयात्रा उनके स्थायी शिविर सुल्तानपुर से लेकर ढालपुर रथ मैदान तक निकाली जाती है, जहां भगवान रघुनाथ जी की शोभायात्रा में घाटी के सैकड़ों देवी-देवता भाग लेते हैं। रथ में भगवान रघुनाथ को बैठाने से पहले यहां विधिवत पूजा-अर्चना की जाती है। उसके बाद राज परिवार के सदस्य रथ की परिक्रमा करते हैं, जहां मां भेखली माता से जब इशारा, यानी अनुमति दी जाती है, उसके बाद ही रथ आगे बढ़ाया जाता है। महिलाएं भी रथ यात्रा में भाग लेती हैं।

यहां रावण ही नहीं, जलती है पूरी लंका

नवरात्र हिंदुओं का एक बड़ा धार्मिक उत्सव माना जाता है, जिसमें मां दुर्गा के नौ रूपों की रोजाना पूजा की जाती है। नवरात्र के दसवें दिन विजयदशमी मनाई जाती है। मान्यता के अनुसार इस दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था। इस खास दिन का एक नाम दशहरा भी है, जो पूरे भारत वर्ष में बड़े धूमधाम से आयोजित किया जाता है, लेकिन यहां देवभूमि कुल्लू जिला का दशहरा देश दुनिया से खास है, जो कि सात दिनों तक मनाया जाता है। जहां अन्य राज्यों में रावण का दहन किया जाता है व रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण का पुतला जलाया जाता है। वहीं, कुल्लू में रावण दहन नहीं, बल्कि लंकादहन की परंपरा विधिवत रूप से निभाई जाती है। यहां दशहरा कुछ खास अंदाज में मनाया जाता है।

देश-विदेश से उत्सव कवर करने पहुंचते हैं कई

हिमाचल की देवभूमि कुल्लू घाटी न सिर्फ अपनी प्राकृतिक सौंदर्यता के लिए जानी जाती है, बल्कि यहां आयोजित होने वाले धार्मिक उत्सव व त्योहार भी बेहद खास होते है, जो लंबे समय से आज भी परंपरागत तरीके से मनाए जाते हैं। वहीं, दशहरा उत्सव आज विश्वभर के लोगों को भी आकर्षित करता है। यहां देश-विदेश से सैलानी खासतौर पर दशहरा कवर करने के लिए भी पहुंचते हैं। पीएचडी करने वाले छात्र भी दशहरे पर खास स्टडी करने के लिए आते हैं। विजयादशमी शुभांरभ होने वाला दशहरा उत्सव पूरे एक सप्ताह तक मनाया जाता है।

राज्यपाल के हाथों दशहरे का श्रीगणेश

कुल्लू – राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कुल्लू के ढालपुर मैदान में सप्ताह भर चलने वाले अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरे का शुभारंभ किया। इस अवसर पर राज्यपाल ने कुल्लू के प्रसिद्ध ढालपुर मैदान में भगवान रघुनाथ जी की रथयात्रा में भाग भी लिया। राज्यपाल ने इस अवसर पर घाटी के लोगों को दशहरे की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि यह पर्व सत्य की असत्य पर जीत का परिचायक है। उन्होंने कहा कि आज के आधुनिक समय में प्रदेश के लोगों ने यहां की समृद्ध संस्कृति, रीति-रिवाज तथा परंपराओं को संजोकर रखा है, जिसके लिए यहां के लोग प्रशंसा के पात्र हैं। वन, परिवहन और युवा सेवाएं एवं खेल मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर, त्रिपुरा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश संजय करोल, हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीश धर्म चंद चौधरी, विधायकगण, उपायुक्त कुल्लू डा. रिचा वर्मा तथा जिला प्रशासन के अधिकारी भी इस अवसर पर उपस्थित रहे।

…और सज गए स्टाल-प्रदर्शनियां

राज्यपाल ने विभिन्न सरकारी विभागों, बोर्डों, निगमों व अन्य गैर-सरकारी संस्थानों द्वारा आयोजित प्रदर्शनी का उद्घाटन किया और स्टाल पर जाकर विभिन्न उत्पादों का अवलोकन किया। इससे पहले राज्यपाल ने भुंतर हवाई अड्डे पहुंचने पर भव्य स्वागत किया गया।

स्वस्थ समाज के निर्माण का लें प्रण

शिमला – केंद्रीय वित्त एवं कारपोरेट अफेयर्स राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने विजयदशमी के पावन पर्व की शुभकामनाएं देते हुए बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक विजयदशमी त्योहार पर स्वस्थ समाज व नए भारत के निर्माण में अपनी भूमिका सुनिश्चित करने का आह्वान किया है। अनुराग ठाकुर ने कहा कि विजयदशमी का त्योहार अधर्म पर धर्म की, असत्य पर सत्य की, अंधकार पर प्रकाश की, रावण पर मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की विजय का प्रतीक है। हर वर्ष रावण का वध कर यह संदेश दिया जाता है कि बुराई चाहे कितनी भी बड़ी क्यों न हो, अच्छाई के सामने ज्यादा दिनों तक टिक नहीं सकती।