डाक्टर्ज की नहीं हुई डिजिटल रजिस्ट्रेशन

केंद्र के निर्देशों के बाद भी अभी तक हिमाचल प्रदेश में प्रक्रिया लटकी

शिमला – प्रदेश में अभी डाक्टर्ज के डिजिटल रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू ही नहीं हो पाई है। जानकारी के मुताबिक केंद्र से मिले निर्देशों में अब डाक्टरों के एमसीआई में डिजिटल रजिस्ट्रेशन होंगे, जिसमें चिकित्सकों की फोटो भी रिकार्ड के लिए डाली जाएगी, लेकिन अभी प्रदेश में ऐसा शुरू ही नहीं हो पाया है। अभी प्रदेश में मेडिकल कालेजों की मान्यता बचाने के लिए एक कालेजों से दूसरे कालेजों को महज चंद दिनों के लिए डाक्टर्ज के तबादले किए जाते हैं और फिर उन्हें वापस अपने पुराने मेडिकल कालेज भेज दिया जाता है। नियम के मुताबिक जब किसी का तबादला मेडिकल कालेज के लिए किया जाए, तो कम से कम एक वर्ष के लिए उसे तबदाला हुए मेडिकल कालेज में रहना चाहिए, लेकिन अब एमसीआई ने नकेल कसते हुए साफ कहा था कि यदि फर्जी तौर पर डाक्टर की बदली की गई, तो पल में ही डिजिटल रजिस्ट्रेशन से तबादले का पता लग जाएगा, जिस पर डिजिटल रजिस्ट्रेशन किए जाने थे। अभी हाल ही में एमसीआई के सर्वेक्षण में नए मेडिकल कालेजों के फेल होने की हलचल के बाद अब आनन-फानन में टीएमसी से चंबा मेडिकल कालेज के लिए डाक्टरों की ट्रांसफर कर दी गई थी। देखा जाए, तो पहले से ही प्रदेश में चिकित्सकों की कमी चल रही है। इसके लिए बेहद जरूरी है कि प्रदेश के नए मेडिकल कालेज बेहतर तरीके से चल सके। प्रदेश में यह भी देखा जा रहा है कि मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के नियम के तहत चिकित्सकों के फेरबदल की यह प्रक्रिया भी सही नहीं हैं। लगभग एक वर्ष तक इन्हें एमसीआई नियम के  तहत उसी स्टेशन में रखना जरूरी है, जहां सरकार द्वारा उन्हें भेजा जाए।

अभी और बेहतर कोशिश की जरूरत

प्रदेश के नए मेडिकल कालेजों में कमियां पूरी नहीं हो पाई हैं। इसमें अभी चंबा मडिकल कालेज का नंबर पहला है। दूसरे नंबर पर हमीरपुर मेडिकल कालेज, तीसरे नंबर पर नाहन मेडिकल कालेज और कमियों को लेकर चौथे नंबर पर मंडी मेडिकल कालेज है, जिसमें अभी दस से बीस फीसदी कमी अभी भी है।