नतीजों पर सस्पेंस मोड में दोनों दल

गुटबाजी और भितरघात के खौफ से खुद कान्फिडेंट नहीं दिख रही सरकार

शिमला – विधानसभा उपचुनाव के गुरुवार को आने वाले नतीजों को लेकर भाजपा-कांग्रेस सस्पेंस मोड पर आ गए हैं। संभावित नतीजों को लेकर राज्य सरकार भी पूरी तरह कान्फिडेंट नहीं दिख रही। इसके पीछे धर्मशाला तथा पच्छाद दोनों विधानसभा क्षेत्रों में गुटबाजी और भितरघात का डर सता रहा है। हालांकि भाजपा के लिए मोदी मैजिक और जयराम सरकार की अविवादित छवि जीत का सबसे बड़ा भरोसा है। वोटिंग से पहले जीत का दावा करने वाली भाजपा भी अब भितरघात के जमा-जोड़ करने में जुट गई है। जाहिर है कि धर्मशाला में पहली बार कांग्रेस ने ट्राइबल कार्ड खेल कर विजय इंद्र कर्ण को टिकट थमाया है। इसके चलते भाजपा को मजबूरन इसी वर्ग से ताल्लुक रखने वाले विशाल नैहरिया को चुनावी रण में उतारना पड़ा है। संयोगवश दोनों पार्टियों का यह कास्ट फैक्टर मतदान के दौरान गले की फांस बन गया था। इस कारण आम कार्यकर्ता के रूप में नामांकन दर्ज करने वाले राकेश चौधरी धर्मशाला की पिच पर सबसे बड़े खिलाड़ी बनकर उभरे हैं। सियासी गलियारों में यह चर्चा आम है कि दोनों पर्टियों के कुछ दिग्गजों को अपने प्रत्याशी  रास नहीं आए हैं। टिकट आबंटन से खफा भाजपा और कांग्रेस नेताओं के लिए राकेश चौधरी का चुनाव चिन्ह सबसे प्रिय बन गया था। इसके चलते जातिवाद पर आधारित इस चुनाव में ब्राह्मण तथा राजपूत वोटर सबसे बड़ा फैक्टर बनकर उभरे हैं। इस कारण ये कयास लगाए जा रहे हैं कि धर्मशाला में मोदी मैजिक नहीं चला होगा तो यहां से चौंकाने वाले नतीजे आना तय है। हालांकि प्रदेश में अभी तक जयराम सरकार का विजयी रथ नहीं रूका है। इसके अलावा धर्मशाला में कांग्रेस की फूट तथा उत्साह की कमी जगजाहिर हुई है। इस कारण धर्मशाला में भाजपा के साथ टक्कर के लिए कांग्रेस के अलावा राकेश चौधरी का नाम प्रमुखता से लिया जा रहा है। कमोवेश यही स्थिति सिरमौर के पच्छाद में है। गंगूराम मुसाफिर ने अपनी सियासी पारी की शानदार विदाई के नाम पर वोट मांगे हैं। इसके अलावा इस जीत के साथ गंगूराम मुसाफिर कांग्रेस खेमे से सीएम की रेस में भी बन जाएंगे। इस कारण कांग्रेस को पच्छाद में अच्छी खबर की उम्मीद है।

पच्छाद में भाजपा को कांग्रेस से लग रहा डर

गुटबाजी की शिकार भाजपा के पच्छाद में विजय अभियान को रोकने को अपने ही पार्टी नेताओं की रणनीति ढेर हो गई। इस कारण टिकट कटने के बाद दयाल प्यारी ने चुनावी ताल ठोक कर भाजपा की मुसीबत बढ़ा दी। जीत के दावे कर रही भाजपा को पच्छाद में कांग्रेस से डर लग रहा है।