नेता भी हिमाचल में इलाज कराएं

बिलासपुर में एम्स की इमारतों के साथ ऊपर उठता गौरव हमें आशान्वित करता है कि यह अपने नाम के साथ चिकित्सा क्षेत्र का पूर्ण उत्थान करेगा। कोठीपुर में एम्स के साथ प्रतिबिंबित होते भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जय प्रकाश नड्डा के लिए यह संस्थान एक तरह से जीवन का मिशन है, इसलिए इसकी कवायद में उनका रसूख और राष्ट्रीय कद भी देखा जाएगा। एम्स के बहाने हिमाचल की चिकित्सा शिक्षा में अगले साल और इजाफा होने जा रहा है और इस तरह प्रदेश अपने आंकड़ों को और बुलंदी पर ले जाएगा। कमोबेश हर मेडिकल संस्थान की स्थापना के साथ स्वास्थ्य क्षेत्र में हिमाचल की तस्वीर बड़ी हो रही है और एक तरह से यह राज्य कल मेडिकल टूरिज्म का बड़ा डेस्टीनेशन हो सकता है, बशर्ते विभागीय सोच, चिकित्सा प्रणाली की काबिलीयत और कार्य संस्कृति इसे अपने लक्ष्यों में पारंगत करे। बेशक हिमाचल में चिकित्सा का ऊपरी ढांचा काफी विस्तृत और समग्र दिखाई देता है, लेकिन आधारभूत जरूरतें कहीं जमीनी तौर पर खिसक रही हैं। ऐसे में एक वादा सरकार की ओर से यह परिलक्षित करे कि हर तरह और हर स्तर का इलाज राज्य में ही संभव होगा यानी सत्ता यह प्रण ले कि कोई भी ओहदेदार हिमाचल के बाहर स्वास्थ्य लाभ नहीं लेगा। पाठक गवाह हैं कि एक ओर नित नए मेडिकल संस्थान जन्म ले रहे हैं, जबकि इनके ऊपर संभ्रांत लोगों या नेताओं का भरोसा नहीं है। अभी पूर्व मुख्यमंत्री का पीजीआई में हुआ इलाज भी यही साबित करता है कि शिमला के आईजीएमसी पर कितना भरोसा है। हिमाचल विधानसभा में इस तरह का विधेयक लाकर विधायक जनता को यह आश्वासन दें कि वह अपने-अपने विधानसभा क्षेत्रों के चिकित्सा संस्थानों में ही हर सूरत इलाज करवाएंगे, बल्कि इसकी शुरुआत दोनों उपचुनावों से ही की जाए। भाजपा व कांग्रेस अपने प्रत्याशियों के मार्फत यह वादा करें कि जीत के उपरांत संभावित एमएलए हर सूरत विधानसभा क्षेत्रों के चिकित्सा संस्थानों में ही बीमारी की स्थिति में इलाज कराएंगे। कुछ इसी तरह का वादा शिक्षा के संदर्भ में भी हो ताकि जनप्रतिनिधियों के बच्चे हिमाचल के स्कूलों में पल कर इन्हें प्रतिष्ठित करें। बहरहाल एम्स बिलासपुर और ऊना में पीजीआई के सेटेलाइट सेंटर से यह उम्मीद तो रहेगी कि एक में दिल्ली और दूसरे में चंडीगढ़ सरीखी चिकित्सकीय सेवाएं प्रदान होंगी। हिमाचल सरकार को इन तमाम मेडिकल संस्थानों की क्षमता में चिकित्सा राज्य के उद्गार को पारंगत करने की व्यवस्था कायम करनी होगी। दूसरे मेडिकल टूरिज्म के लिहाज से एक विस्तृत नेटवर्क तैयार करना होगा और इसकी बाकायदा मार्केटिंग करनी होगी। प्रमुख चिकित्सा संस्थानों के प्रांगण में हेलिपैड या हेलिपोर्ट के माध्यम से कनेक्टिविटी के साथ-साथ निजी क्षेत्र को भी जोड़ना होगा। प्रदेश में चिकित्सा संस्थानों का ढांचा निचले स्तर तक सशक्त है, लेकिन इसको सक्रिय व सक्षम बनाने के लिए विशेष प्रयत्नों की जरूरत है। हिमाचल के कुछ बड़े अस्पताल पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत चलाए जाएं, तो मेडिकल टूरिज्म में इजाफा होगा। शिमला, मंडी और धर्मशाला के जोनल अस्पतालों का निजीकरण स्वास्थ्य सेवाओं को उत्कृष्टता प्रदान कर सकता है, बशर्ते सरकार अब विभागीय ढर्रे व ढांचे को बदलने का क्रांतिकारी कदम उठाए।