पराली न बने प्रदूषण का कारण

-राजेश कुमार चौहान, जालंधर

धान की फसल खेतों में लगभग तैयार हो चुकी है और किसान इसको जल्दी ही काट लेंगे। कुछ किसान इसकी पराली का उचित प्रयोग कर लेंगे तो कुछ खेतों में भी जला सकते हैं। खेतों में पराली जलाने से वायु प्रदूषण बढ़ जाता है। राज्यों की सरकार और केंद्र सरकार को पराली संभालने या इसके उपयोगी बनाने के लिए किसानों को जागरूक करने के लिए ही गंभीरता न दिखाए, बल्कि इसके लिए किसानों की मदद भी करे। पराली का इस्तेमाल बिजली संयंत्रों में बायोमास के रूप में किया जाएगा। इसके साथ पराली का उपयोग मिट्टी का क्षरण रोकने के लिए भी किया जाने लगा है और सड़कों के किनारे पराली लगाई जाती है ताकि मिट्टी सूखकर हवा के साथ न उड़े। पराली की समस्या में ही इसका समाधान छिपा हुआ है। इसमें सबसे प्रचलित समाधान बायोमास प्लांट भी है। पंजाब में कुछ जगह शायद यह प्लांट शुरू हुए भी थे। इस वर्ष भी पंजाब में करोड़ों टन पराली निकलने की संभावना है। ऐसे में पराली से बिजली बनाने व जैविक खाद व फ्यूल ब्रिक्स बनाने के बड़े प्लांट लगाने की आवश्यकता है।