1992 में पहला मुकाबला तीन रन बनाए और बाहर
गांगुली ने अपने करियर की शुरुआत साल 1992 में की थी, लेकिन यह शुरुआत उतनी शानदार नहीं थी जितनी उन्होंने सोची थी। गांगुली ने पहले मैच में सिर्फ तीन रन बनाए, जिसकी वजह से उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया था और चार साल तक गांगुली टीम इंडिया से बाहर रहे।
1996 में वापसी
बाएं हाथ के बल्लेबाज सौरव गांगुली ने 1996 में वापसी की और धीरे-धीरे टीम में अपनी जगह पक्की की।
1999 में कप्तान
1999 से लेकर 2005 तक भारतीय टीम की कप्तानी संभालने वाले दादा ने क्रिकेट का नया दौर देखा और 146 वनडे और 49 टेस्ट में उन्होंने कप्तानी का जिम्मा भी उठाया।
हितों का टकराव बड़ा मुद्दा
पूर्व कप्तान गांगुली ने नामांकन दाखिल करने के बाद कहा कि भारतीय क्त्रिकेट में हितों का टकराव एक बड़ा मुद्दा है। गांगुली ने कहा कि पद संभालने के बाद वह इस पर ध्यान देंगे। उन्होंने का यह महत्त्वपूर्ण मुद्दा है और इसे सुलझाना जरूरी है। साथ ही गांगुली ने कहा कि क्रिकेटर्स का प्रशासन में आना अच्छी बात है। उन्होंने कहा कि इससे भारत में खेल को फायदा होगा। गांगुली ने कहा कि पहले भी क्रिकेटर्स प्रशासन में आते रहे हैं, लेकिन इतने बड़े पद पर कोई नहीं आया।
10 महीने के लिए अध्यक्ष, 65 साल में सबसे योग्य प्रशासक
महाराज विजय के बाद अध्यक्ष बनने वाले दूसरे कप्तान
पूर्व कप्तान सौरव गांगुली के भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के नए अध्यक्ष के रूप में घोषणा 23 अक्तूबर को होगी। वह 10 महीने के लिए बोर्ड के अध्यक्ष होंगे। गांगुली पांच साल दो महीने से बंगाल क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं। नए नियमों के अनुसार बोर्ड का कोई भी सदस्य लगातार छह साल तक ही किसी पद पर रहेगा। इस तरह गांगुली का बोर्ड में कार्यकाल सितंबर 2020 में समाप्त हो जाएगा। गांगुली बीसीसीआई के ऐसे पहले अध्यक्ष होंगे, जिनके पास 400 से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय मैच का अनुभव होगा। उन्होंने 424 मैच खेले। गांगुली से पहले 1954 से 1956 तक तीन टेस्ट खेलने वाले महाराज विजय आनंद गणपति राजू ही पूर्णकालिक अध्यक्ष थे। महाराज टीम के कप्तान भी रह चुके हैं। हालांकि, 233 अंतरराष्ट्रीय मैच खेलने वाले सुनील गावस्कर और 34 मैच खेलने वाले शिवलाल यादव ने भी बोर्ड का नेतृत्व किया, लेकिन दोनों 2014 में कुछ समय के लिए अंतरिम अध्यक्ष ही थे।