बुक कैफे टेंडर के जरिए किसी और को देने पर रोक

शिमला – प्रदेश उच्च न्यायालय ने नगर निगम द्वारा शिमला के रिज स्थित ऐतिहासिक टक्का बैंच के बुक कैफे को सजायाफ्ता कैदी की बजाय बड़े टेंडर के बोलीदाता को दिए जाने पर फिलहाल रोक लगा दी है। मुख्य न्यायाधीश लिंगप्पा नारायण स्वामी व न्यायाधीश धर्मचंद चौधरी की खंडपीठ ने सजायाफ्ता कैदी जय चंद द्वारा दायर याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के दौरान यह अंतरिम आदेश पारित किए। प्रदेश उच्च न्यायालय ने नगर निगम शिमला को याचिका का जवाब 13 नवंबर तक दाखिल करने के आदेश जारी किए गए हैं। याचिका में दिए तथ्यों के अनुसार हिमाचल प्रदेश पुलिस विभाग में विशेष तौर पर महानिदेशक जेल व सुधारात्मक सेवाएं ने सभी को काम मुहैया करवाने के उद्देश्य से हर हाथ को काम के नाम से मुहिम चलाई थी। जेल विभाग ने सजायाफ्ता कैदियों को उनके व उनके परिवार के गुजर-बसर हेतु रोजगार मुहैया करवाने के उद्देश्य से इस मुहिम को अंजाम दिया था। सजायाफ्ता कैदियों के पुनर्वास के लिए टक्का बैंच के पास बुक कैफे खोला गया है। प्रार्थी के अनुसार टक्का बैंच के पास कैफे में काम मिलने के कारण उसके जीवन में खासा बदलाव आया। प्रार्थी के अनुसार कैफे नगर निगम के आवास में चलाया जा रहा है, जिसका 80 फीसदी लाभ एसएमसी को दिया जाता है। प्रार्थी के अनुसार कैफे से अच्छा लाभ हो रहा है, जबकि एसएमसी ने इसे टेंडर के माध्यम से किसी अन्य व्यक्ति को दिए जाने बाबत टेंडर आमंत्रित किए हैं।