श्रीखंड में चोटियों के रूप में विराजमान हुए थे सप्तऋषि

एक दंत कथा के अनुसार जब प्रथम पूजन के बाद सब देवताओं के बीच झगड़ा हुआ तो यह  निश्चय हुआ कि जो सारी धरती की परिक्रमा कर सबसे पहले लौटेगा, वह प्रथम पूज्य होगा। सभी देवता परिक्रमा करने निकल पड़े तो गणपति ने माता पार्वती से उपाय पूछा तो अपनी माता के कहे अनुसार गणपति ने एक पत्थर पर भगवान शिव का नाम लिखा और  पत्थर की परिक्रमा कर शंख ध्वनि की…

गतांक से आगे …

श्रीखंड महादेव:

एक दंत कथा के अनुसार जब प्रथम पूजन के बाद सब देवताओं के बीच झगड़ा हुआ तो यह  निश्चय हुआ कि जो सारी धरती की परिक्रमा कर सबसे पहले लौटेगा, वह प्रथम पूज्य होगा। सभी देवता परिक्रमा करने निकल पड़े तो गणपति ने माता पार्वती से उपाय पूछा तो अपनी माता के कहे अनुसार गणपति ने एक पत्थर पर भगवान शिव का नाम लिखा और  पत्थर की परिक्रमा कर शंख ध्वनि की। शंख ध्वनि की आवाज पूर्ण सृष्टि में गूंज उठी। उस समय भगवान शिव आगे और स्वामी कार्तिकेय इस नयनगिर पर्वत पर चल रहे थे। शंखध्वनि की उस आवाज से दोनों यहां शैल रूप में विराजमान हो गए। वहीं, उन्हें तलाश करने सप्तऋषि भी आए तो यहां आकर सप्तऋषि भी चोटियों के रूप में विराजमान हो गए। जिन्हें श्रीखंड यात्रा के दौरान सप्तऋषि की पहाडि़यों , स्वामी कार्तिकेय और भगवान श्रीखंड के दर्शन होते हैं।

निरमंड से आगे जाओ वहां से आगे की करीब तीस किमी पैदल यात्रा कर भक्त श्रीखंड महादेव तक पहुंच सकते हैं। संकरी, खड़ी और कठिन चढ़ाई में भक्तों को अनेक प्रकार की जड़ी बूटियों और अनेक संुदर घाटियों के दर्शन तो होते ही हैं, साथ ही कई स्थान ऐसे ऐहिासिक हैं जिन्हें देख कर भक्त पांडवों तथा पुराने समय को समझने के लिए मजबूर हो जाते हैं। जाओं से आगे सिंहगड़, थाचड़, नयन सरोवर, भीमडवारी और पार्वती बाग  जैसे अनेक संुदर स्थानों के दर्शन करने के बाद श्रीखंड महादेव के दर्शन होते हैं।

एक जन श्रुति के अनुसार भस्मासुर राक्षस ने यहां तपस्या की और भगवान शिव से वरदान मांगा, जो उन्हें ही भारी पड़ा। राक्षस के डर से पार्वती यहां रो पड़ी उनके अरुओं से यहां नयन सरोवर का निर्माण हुआ। इसकी एक एक धार यहां से पच्चीस किमी नीचे भगवान शिव की गुफा निरमंड के देव ढांक तक गिरती है। यहां के रमणीय स्थानों में से एक भीमडवारी भक्तों  को पाडवों की  याद दिलाता है एक कथा के अनुसार जब पांडवों को वनवास हुआ तो उन्होंने कुछ समय यहां बिताया इसके साक्ष्य वहां भीम की ओर से स्थापित बडे़-बड़े पत्थरों को काटकर रखा जाना मौजूद है। भीमडवार पहुंचने के बाद रात के समय यहां कई प्रकार की जड़ी बुटियां चमक- उठतीं हैं। भक्तों का दावा है कि इनमें से कई मृत संजीवनी बूटी भी मौजमद हैं।

                   -क्रमशः