स्टोन क्रशर केस में नहीं हुई सुनवाई

मुख्य न्यायाधीश बदलने के चलते अदालत में नहीं आया मामला, अब अगले महीने ही आएगा नंबर

शिमला – बरसाती खड्डों, नालों व बावडि़यों से सौ मीटर की दूरी पर स्थित स्टोन क्रशर के मामले में प्रदेश हाई कोर्ट में सुनवाई नहीं हो पाई। 23 अक्तूबर को सुनवाई रखी गई थी, लेकिन मुख्य न्यायाधीश के बदलने और नए मुख्य न्यायधाश के आने के चलते अभी मामला अदालत के सामने नहीं लग पाया है। अब इस पर अगले महीने ही सुनवाई होगी और तभी फैसला होने की उम्मीद है। फिलहाल मामला टल गया है। एनजीटी ने यहां ऐसी नदियों, खड्डों, नालों व बावडि़यों के 100 मीटर के दायरे में लगे क्रशर बंद करने का आदेश दे रखा है, जिसे प्रदेश सरकार ने हाई कोर्ट में चुनौती दी है। खनन विभाग का कहना है कि नदियों-नालों से तय दूरी को सुनिश्चित बनाया गया है, लेकिन राज्य में नाले, बावडि़यां व चश्मे बरसात के दिनों में जगह-जगह उफन जाते हैं, यह पता नहीं है कि यहां बरसात में कितने चश्मे कहां निकल आते हैं और कितनी बावडि़यां तैयार हो जाती हैं। इनके सौ मीटर के दायरे में स्टोन क्रशर नहीं चलेगा, तो यहां सभी क्रशर बंद करने पड़ेंगे। इससे पहले राज्य सरकार की ओर से इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली गई थी, जिसके बाद नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को वहां से हिमाचल का पक्ष दोबारा से सुनने को कहा गया था। दोबारा पक्ष रखने के बाद भी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने प्रदेश की बात नहीं मानी है और आदेश दिए हैं कि नदियों, नालों, बावडि़यों, चश्मों के 100 मीटर के दायरे में स्टोन क्रशर नहीं होने चाहिए। ऐसे में संकट यह पैदा हो गया है कि इस आदेश की अनुपालना की जाए, तो प्रदेश में सभी स्टोन क्रशर बंद करने पड़ेंगे।

आदेशों का इंतजार

हाई कोर्ट ने फिलहाल उन स्टोर क्रशरों को तो अंतरिम राहत दे रखी है, जो नदियों के 100 मीटर के दायरे में हैं। अभी सीजनल खड्डों वाले स्टोन क्रशर के मामले में सुनवाई होनी है। सरकार द्वारा क्रशर मालिकों के पक्ष में न्यायालय में जाने पर क्रशर मालिकों ने सरकार का आभार भी जताया है और इस कदम से वह लोग खुश हैं, लेकिन देखना यह है कि हाई कोर्ट क्या कहता है। अभी वहां के आदेशों के लिए और इंतजार करना होगा।