हिमाचल में प्लास्टिक अब और नहीं

राजेंद्र पालमपुरी

लेखक, मनाली से हैं

देवभूमि हिमाचल में सिंगल यूज प्लास्टिक पर पूर्ण रूप से बैन करने को हिमाचल प्रदेश सरकार सख्त रुख अपनाने पर बाध्य है। गत 23 सितंबर को एक टीवी चैनल से बात करते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने यह कहते हुए स्पष्ट किया कि प्रदेश में वन टाइम प्लास्टिक यूज जो हो रहा है उसको कैसे कम किया जा सकता है। हम जब प्रदेश की वादियों की खूबसूरती की बात करते हैं और जब बात इनसानियत की सेहत की हो रही हो या फिर प्रदेश के स्वच्छ वातावरण की बात की जा रही हो तो यह आवश्यक हो जाता है कि प्रदेश में बढ़ रहे इस खतरे पर शीघ्र अंकुश लगाया जाए…

इनसान ही नहीं बल्कि आम जानवर भी प्लास्टिक के नुकसान से अछूते नहीं हैं। देवभूमि हिमाचल में सिंगल यूज प्लास्टिक  पर पूर्ण रूप से बैन करने पर हिमाचल प्रदेश सरकार सख्त रुख अपनाने पर वाध्य है, जो प्रदेश के आमजनमानस के हित यानी प्रदेश के हर आदमी की सेहत के मद्देनजर ही लिया गया निर्णय है। गत 23 सितंबर को एक टीवी चैनल से बात करते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने यह कहते हुए स्पष्ट किया कि प्रदेश में वन टाइम प्लास्टिक यूज जो हो रहा है उसको  कैसे कम किया जा सकता है। हम जब प्रदेश की वादियों की खूबसूरती की बात करते हैं और जब बात इनसानियत की सेहत की हो रही हो या फिर प्रदेश के स्वच्छ वातावरण की बात की जा रही हो तो यह आवश्यक हो जाता है कि प्रदेश में बढ़ रहे इस खतरे पर शीघ्र अंकुश लगाया जाए। प्रदेश में प्लास्टिक में चम्मच से लेकर गिलास, कप, प्लेटें, बच्चों को मन भाते रंग बिरंगे कांटे तक बिक रहे हैं। पानी पीते हुए आम आदमी को हम प्रायः अपने आजू-बाजू देखते ही नहीं बल्कि हम खुद भी दिन में या अक्सर अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में प्लास्टिक की बोतल मुहं से लगाए रहते हैं। हमारे बच्चे भी अकसर बाजार में बिकने वाले खिलौनों और पानी भरीं प्लास्टिक की बोतलों की पुरजोर फरमाइश भी करते देखे जाते हैं। हां एक बात और भी है कि वैसे तो हम अपनी शान बघारने के चक्कर में भी सफर करते हुए प्रायः प्लास्टिक से बनी पानी की बोतलों, गिलास, चम्मच और प्लेटों का इस्तेमाल तो करते ही हैं बल्कि वातावरण प्रदूषण की चिंता किए बगैर राह चलते हुए हम इन्हें जहां कहीं इधर-उधर फेंक कर आगे चलते बनते हैं। प्लास्टिक से बनी बोतलों और गिलासों में भरे पानी से हमारे लीवर को नुकसान पहुंचता है जो हम नहीं जानते।

प्लास्टिक से बनी थैली के दूध के इस्तेमाल से तो कैंसर जैसी बीमारी होने का खतरा बताया जाता है। जिस प्लास्टिक से बनी प्लेटों, टिफिन और गिलासों का हम सेवन कर रहे हैं वही प्लास्टिक हमारे शरीर में जहर घोलने का काम करता है। धीरे-धीरे यह जहर पहले हमारे जिस्म में प्रवेश करता है और फिर यही धीमा जहर हमें गंभीर रूप से बीमार करके यमलोक पहुंचाने का काम बड़ी आसानी से करता है। प्लास्टिक से बनी चीजें हमारे पर्यावरण को दूषित कर वातावरण में भी जहर घोलती हैं। प्लास्टिक के द्वारा बढ़ते हुए खतरे के मद्देनजर हिमाचल सरकार ने प्लास्टिक पर पूरी तरह से रोक लगा दी है, प्लास्टिक से बने चम्मच, गिलास, प्लेटों, स्ट्रॉ, कांटे, कटोरी, फूड सर्विंग स्पून और चाकू बगैरह दूसरे सभी उत्पादों को जुर्म की सूची में शामिल किया गया है। ऐसे सभी उत्पादों को हिमाचल सरकार ने पूर्ण प्रतिबंधित कर दिया है। प्रदेश सरकार ने यह भी बिलकुल साफ  कर दिया है कि प्लास्टिक से बने उत्पादों जैसे प्लास्टिक से बने लिफाफे लिए हुए लेकर पकड़े जाने पर भी जुर्माना किया जाने का प्रावधान किया गया है। प्रदेश मुख्यमंत्री ने टीवी चैनल में यह भी स्पष्ट किया कि वैसे तो प्रदेश में प्लास्टिक पर साल 2009 से बैन है लेकिन फिर भी आमजनमानस के लिए जागरूकता शिविर लगाया जाना भी सरकार के विचाराधीन है। प्रदेश में बाहर से आने वाले सैलानियों को भी इस बारे में चेताया और समझाया जाएगा कि वह भी प्रदेश के इस आंदोलन में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करें। हम सभी जानते हैं कि वैसे तो प्लास्टिक सालों साल नष्ट ही नहीं होता जबकि प्लास्टिक से बने उत्पादों को जलाने के बाद भी प्लास्टिक वातावरण  में जहर घोलता रहता है और वातावरण दूषित करने में सहायक होता है। प्लास्टिक की बोतल के कार में रखे होने और उसमें रखे पानी के गर्म होने पर पीने से डायोक्सीन, सल्फर डाइआक्साइड जैसी गैसों के बनने से कैंसर जैसी घातक बीमारी होने का भय सदैव बना रहता है। एक रिसर्च के अनुसार क्लोनिनेटिड डायोक्सिन हाइड्रोक्लोरिक एसिड , सल्फर डाइआक्साईड जैसी गैसों से किसी भी इनसान को सांस की बीमारियां होने की संभावनाएं ज्यादा होती हैं। प्रदेश सरकार की बात हो तो प्रदेश में सरकार ने प्लास्टिक के इस्तेमाल पर साल 2009 से ही रोक लगाने का निर्णय लिया है। लेकिन अब इस विषय पर कड़ी और त्वरित कार्रवाई करते हुए प्लास्टिक से पर्यावरण और इनसानी जीवन की सुरक्षा को लेकर राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने प्लास्टिक बैन पर लापरवाही दर्शातीं लगभग 68 कंपनियों को नोटिस जारी किया है, जिस पर कुछ कंपनियां प्रत्युत्तर दे चुकी हैं और यदि पर्यावरण संरक्षण अधिनियम की धारा-15 के अंतर्गत कंपनियां लापरवाही बरतती हैं तो ऐसी कंपनियों पर नियंत्रण बोर्ड कड़ी काईवाई कर सकता है। हिमाचल प्रदेश सरकार के राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव ने यह साफ  किया है कि हिमाचल को पूर्ण तौर पर प्लास्टिक मुक्त करने के लिए पीसीबी कई अहम योजनाएं बना रहा है, जिसमें संबंधित कंपनियों के साथ मिलकर आवश्यक गाइडलाइन जारी की जाने वाली है। इससे स्पष्ट तौर पर कहा जा सकता है कि सरकार तो प्रदेश को प्लास्टिक मुक्त करने के आवश्यक प्रयास कर रही है लेकिन सोचने की बात यह भी है कि हम इस गंभीर विषय पर कितने प्रयत्नशील हैं या क्या कर रहे हैं। जबकि प्लास्टिक से जल्द निजात पाना हमारे लिए, हम सबके लिए बेहद जरूरी है।