25 फीसदी बढ़ाया देवताओं का दूरी भत्ता, नजराने में भी इजाफा

अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव के समापन अवसर पर देवसमाज को सरकार का बड़ा तोहफा

कुल्लू – विश्व के सबसे बडे़ देव समागम यानी अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव के समापन अवसर पर हिमाचल सरकार ने देव समाज को बड़ा तोहफा दिया है। इस बार जहां देवी-देवताओं के नजराने और दूसरी भत्ते में बढ़ोतरी की गई है, वहीं देवी-देवताओं के अहम कारकूनों में कहलाए जाने वाले गूर और बजंतरियों के लिए बड़ी घोषणाएं की गई हैं। मुख्यमंत्री ने ऐतिहासिक लाल चंद प्रार्थी कला केंद्र में पहले दशहरा समिति और जिला प्रशासन के बेहतरीन आयोजन की तारीफ की और फिर देव महाकुंभ की शोभा बढ़ाने वाले देवी-देवताओं के नजराने को पांच प्रतिशत बढ़ाया। इसके अलावा दशहरा उत्सव में इस बार इतिहास रचने वाले बजंतरियों की खूब सराहना करते हुए उनका मानदेय 15 प्रतिशत बढ़ाया। इसके अलावा देवधुन कार्यक्रम की शोभा बढ़ाने के लिए बजंतरियों को पांच लाख अतिरिक्त देने की घोषणा की। देवी-देवताओं के दूरी भत्ते में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी की गई है। इस दूरी भत्ते को 25 प्रतिशत बढ़ोतरी की गई। इससे आउटर सिराज के आनी और निरमंड खंड के देवसमाज को काफी सहयोग मिलेगा। यहां के देवी-देवता और कारकून और हारियान करीब 100 से 200 किलोमीटर पैदल चलकर कुल्लू अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव की शोभा बढ़ाते हैं। दूरी भत्ता बढ़ने से बीच के ठहरावों पर होने वाले खर्च के लिए सहायता मिलेगी। पहली बार दूरी भत्ते को सरकार ने 25 प्रतिशत बढ़ाया है। देवी-देवताओं के अलावा हरिपुर दशहरा के लिए एक लाख, मणिकर्ण दशहरा उत्सव के लिए एक लाख रुपए की घोषणा की गई है। पिछले वर्ष इनके लिए 75 हजार रुपए दिए गए थे, जो अब 25 हजार रुपए बढ़ाकर एक-एक लाख रुपए कर दिए गए हैं। इसके अलावा वशिष्ठ दशहरा उत्सव के लिए 75 हजार रुपए की घोषणा की गई है। पिछले वर्ष यह राशि 50 हजार रुपए थी। इस बार मुख्यमंत्री ने देवी-देवताओं का अहम अंग माने जाने वाले गूरों को भी एक हजार रुपए देने की घोषणा की है। दशहरा उत्सव के इतिहास में यह नया अध्याय जुड़ा कि गूरों को भी सरकार ने एक हजार रुपए देने की घोषणा कर दी है। लिहाजा, देव समाज इन घोषणाओं से खुश हुआ है। बता दें कि इस बार दशहरा उत्सव में देवभूमि कुल्लू के कोने-कोने से 280 देवी-देवताओं ने भाग लिया।  इस बार उत्सव में पिछले वर्ष से 40 देवी-देवता बढ़े है। यह दूरी भत्ता, नजराना राशि मुआफीदार और गैर मुआफीदार देवी-देवताओं को मिलेंगे। इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि देव संस्कृति में पूरे हिमाचल में कुल्लू नंबर वन पर है। आगामी समय में देव संस्कृति को बचाने के लिए सरकार और प्रयास करेगी। वहीं, मुख्यमंत्री ने लोगों से देव संस्कृति को बचाने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि कुल्लू दशहरा में देवधुनों के स्वरूप को और बदला जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले प्रयास में ही कुल्लू दशहरा उत्सव में विश्व शांति के लिए बजाई गई देवधुन इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड में दर्ज हुई। ऐसे में इस देवधुन को गिनीज बुक ऑफ रिकार्ड में दर्ज का प्रयास किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने जब गूरों के लिए एक हजार रुपए देने की घोषणा की तो उस दौरान हंसते हुए मुख से कहा कि देवता के बिना गूर नहीं और धुन के बिना नाटी नहीं है। ऐसे में इनको को राशि देना भी फर्ज बनता है।