99 फीसदी कश्मीर शांत

सरकार के प्रवक्ता ने दी जानकारी, अनुच्छेद-370 हटने पर पाकिस्तान के मनसूबों पर फिरा पानी

श्रीनगर – जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले आर्टिकल 370 को हटाए जाने के बाद से पाकिस्तान की ओर से राज्य में हिंसा और अशांति फैलाने की तमाम कोशिशों पर पानी फिर गया और वहां के 99 प्रतिशत से भी ज्यादा इलाकों से पाबंदियां भी हट चुकी हैं। राज्य सरकार के प्रवक्ता रोहित कंसल ने शनिवार को संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि आर्टिकल 370 हटने बाद बाहर से सहायता प्राप्त आतंकवादियों को जम्मू-कश्मीर में शांति भंग करने से रोकने के लिए कुछ पाबंदियां लगाने की दरकार थी। उन्होंने कहा कि पॉलिटिकल लीडर्स समेत हिरासत में लिए गए अन्य लोगों को रिहा करने की दिशा में भी कदम उठाए जा रहे हैं। उधर, जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने सोमवार से सभी पोस्टपेड मोबाइल फोन सेवाएं बहाल करने की भी घोषणा कर दी है। कंसल ने बताया कि जम्मू-कश्मीर में 16 अगस्त से ही पाबंदियां धीरे-धीरे हटाई जाने लगीं और सितंबर का पहला हफ्ता आते-आते ज्यादातर प्रतिबंध हटा लिए गए। उन्होंने बतायाए श्आठ से दस थाना क्षेत्रों के अलावा लोगों की आम गतिविधियों पर लगी पाबंदियां बिल्कुल हटाई जा चुकी हैं। उन्होंने पर्यटकों को भी राज्य में आने का न्योता दिया और कहा कि राज्य में सैलानियों का स्वागत है। सरकार उनकी यात्रा को सुविधाजनक बनाने को प्रतिबद्ध है। पर्यटन स्थलों पर इंटरनेट सुविधाएं बहाल की जा रही हैं।

लोगों में भय का माहौल बनाना आतंकियों का मकसद

उन्होंने कहा, इन आतंकवादी हमलों के पीछे मकसद सिर्फ  जान-माल की क्षति पहुंचाना नहीं होता है बल्कि जम्मू-कश्मीर के लोगों में भय का माहौल बनाना भी होता है जहां कि ज्यादातर आबादी शांतिप्रिय है। उन्होंने बताया कि लश्कर-ए-तैयबाए जैश-ए-मोहम्मद और हिज्बुल मजाहिदीन जैसे प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन राज्य के लोगों को डराने की लगातार कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसी आशंका में कुछ पाबंदियां लगाई गईं ताकि बाहर से सहायता प्राप्त आतंकवाद में लोगों की जानें नहीं जा पाएं।श् उन्होंने कहा कि 2008, 2010 और 2016 में हुई घटनाओं का इतिहास देखते हुए यह अविस्मरणीय है। आतंकवादियों ने व्यापारियों, कारोबारियों, ट्रांसपोर्टरों को सामान्य कामकाज से रोकने के लिए कुछ लोगों की हत्या कर दी और कुछ लोग घायल हो गए।

पाबंदियों के कारण बचीं जानें

जम्मू-कश्मीर सरकार के प्रवक्ता ने कहा कि पाबंदियां लगाने से एक भी व्यक्ति आतंकवाद का शिकार नहीं हुआ। उन्होंने कहा पिछले दो महीनों से राज्य के लोगों में डर पैदा करने के लिए आतंकी गतिविधियों को बढ़ाने की सीमा पार की कोशिशें बढ़ गई हैं। सीमा पार से प्रयास हो रहे हैं कि कैसे जनजीवन को बाधित किया जाए।